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________________ ( २४ ) (३३) प्रश्न: वनस्पति में कितने जीव होते हैं ? उत्तरः कुणी में अनंता, कच्ची में श्रसंख्याता व पकी में संख्याता जीव होते हैं. (३४) प्रश्नः साधु श्रमं ले सकते हैं ? उत्तरः साराही आम साधु को अकल्पनीय है क्योंकि इसमें गुठली है जो सजीव है. (३५) मश्नः साधु आम का रस लेसकते हैं ? उत्तरः हां. ( ३६ ) प्रश्न: सांधुनी घी कैसा ले सकते हैं गरम या जमा हुवा ? उत्तरः दोनों (गरम या जमा हुवा ) लेमकते हैं. (३७) मश्नः साधुजी तेल लेसकते हैं ? उत्तरः हां तेल अचेत हैं. (३८) प्रश्नः साधुजी दूध, दही व बाद ले सकते हैं ? उत्तरः हां वह भी अचेत ही हैं. (३६) मश्नः साधुजी खारा ले सकते हैं ? उत्तरः नहीं खारा सचेत हैं. (४०) प्रश्नः साधु को सक्कर, खांड, गुड कल्पनीय है ? उत्तरः हां ये सब चीजें अचेत हैं. ( ४१ ) प्रश्न: अचेत वस्तु भी साथ हमेशा ले सकते हैं ? यदि नहि ले सकते हैं तो कब ? उत्तरः श्रता आहार पानी अचेत हाने पर भी साधुजी नहि लेते हैं, (४२) प्रश्न: सुता मायने क्या ? उत्तरः अचेत वस्तु की साथ सचेत वस्तु लगी हो या आहार पानी देते वक्त सचेत वस्तु का
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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