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________________ ( १६ ) कपड़े का पडिलेहण वरावर नहीं हो सकता है जिससे ऐसे कपड़े नहीं रख सकते हैं. (२०) प्रश्नः पडिलेहरण मायने क्या व किस वास्ते करते हैं ? उत्तरः पडिलेहण मायने अच्छी तरह से देखना. अच्छी तरह से देखने से छोटे २ जानवर भी देखने में आते हैं. वस्त्रादिक में देखने से वहां से उठाकर यत्ना से सलामत जगह पर रखे जाते हैं. (२१) प्रश्नः साधुजी दिनमें कितनी दफे पडिलेहण करते हैं ? उत्तर: दो दफे फ़जर में प्रतिक्रमण करने के पीछे शाम को चौथा पहोर की शरुआत में. (२२) प्रश्नः साधुजी व आर्याजी को दिनमें कितनी दफे प्रतिक्रमण करना चाहिये ? उत्तरः दो दफे. (२३) प्रश्नः साधुजी एकही गांव में कितने दिन तक रह सकते हैं ? उत्तरः एक साल में एक गांव में सारा चोमासा. अलावा और अन्य प्रसंग पर साधु ज्यादे से ज्यादे एक मास तक व आर्याजी दो मास तक रह सकते हैं. (२४) प्रश्न: एक गांव में से बिहार करने के पीछे उसी ही गांव में साधुजी या आर्याजी फिर कव सकते हैं ? उत्तरः जितना वक्त साधुजी ठहरे हैं उससे दुगुना
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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