SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ प्रकरण पांचवां ॥ साधुजीका प्राचार.. Dooomn :(१) प्रश्नः तीर्थ कितने हैं ? उत्तरः चार साधु, साध्वी, श्रावक व श्राविका. (२) प्रश्नः साधु किसको कहते हैं ? उत्तरः जो पंच महावृत पालते हैं उसको. (३) प्रश्नः महामृत मायने क्या ? उत्तर: बडा वृत. (४) प्रश्नः साधु का पहिला महावृत कौनसा है ? उत्तरः सर्वथा याने सर्व प्रकारे जीव हिंसा नहीं करना. (५) प्रश्नः साधु का दूसरा महावृत कौनसा है ? उत्तरः सर्वथा असत्य नहीं बोलना. . (६) प्रश्नः साधु का तीसरा महावृत क्या है ? उत्तरः बिना दीहुई वस्तु नहीं लेना या छोटीसी भी चोरी नहीं करना. (७) प्रभः साधु का चोथा महावृत क्या है ? उत्तरः सर्वथा मैथुन का त्याग याने ब्रह्मचर्य पा लना. (८) प्रश्नः साधु का पांचवां महावृत क्या है ? उत्तरः धन दौलत आदि किसी ही मकार का परिग्रह नहीं रखना. (6) प्रश्नः इन पांच महावृतों से अलावा छटा कोई महावृत है ? ..
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy