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________________ शालोपयोगी जैन प्रश्नोत्तर. ॥ प्रकरण पहला ॥ * लोका लोक . ( १ ) प्रश्न: - इस दुनियां को जैन शास्त्र में क्या कहते उत्तर:- लोक . (२) प्रश्न: -- लोक के मुख्य विभाग कितने व कौन २ से हैं ? उत्तर:- तीन. उर्ध्वलोक, अधोलोक, व लोक. (३) प्रश्न: - अपन किस लोक में रहते हैं ? उत्तरः- तीर्छा लोक में. (४) प्रश्न: - - उर्ध्व लोक में मुख्य कर कौन रहते है ? उत्तरः--वैशनिक देव. ( ५ ) प्रश्नः - अधोलोक में मुख्य कर कौन रहते हैं ? उत्तर:- नारकी व भुवनपति देव. ( ६ ) प्रश्न: - उर्ध्व और अधो का अर्थ ( मतलब ) क्या है ? उत्तरः-- उर्ध्व मायने उंचा और श्रधो मायने नीचा. (७) प्रश्न: - लोक कितना बड़ा है ? उत्तर:- असंख्य योजन का लंबा, चौड़ा व उंचा (८) प्रश्न: असंख्यं किसे कहते हैं? उत्तर :- जिसकी संख्या न हो सके उसको श्र . संख्यं कहते हैं. -
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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