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________________ ३०२ सस्कृत-प्राकृत व्याकरण और कोश की परम्परा मध्यदेशीय सूक्ष्म भदव्यवस्थिता सप्तविंशत्यपम्र णा वेतालादि प्रमेदता (प्राकृत सर्वस्व २)। १३ पडित हरगोविन्ददाम त्रिकमपद गोठ, पाइअ-सह-महायो (प्राकृत ५i०५ महार्णव ) लाता, प्रथम आवृत्ति मवत् १९८५ (सन १६२८ ई०)। १४ दे० भारतीय आर्य मापा और हिन्दी, पृष्ठ १२२-१३२ । १५ भारतीय आर्य मापा और हिन्दी, १० १२७-१२८ । १६ पामणाहचरिउ सम्पादक प्रफुल्लकुमार मोदी (सन् १९६५)। १७ डा० महावीरसरन जैन, परिनिष्ठित हिन्दी का ध्वनिग्रामिक अध्ययन । प० २०-२२ १८ दे० (१) कोमल चद जैन, प्राकृत-प्रवेशिका, पृ० ५८ । (२) प० मपिकेश भट्टाचार्य, प्राकृत ग्रामर, पृ० १२८ । १६ डा० महावीर सरन जैन, हिन्दी मजा, भाषा, हिन्दी मापा विशंपाक । २० महादेव मा० वासुतकर, मराठी को कारक व्यवस्या, गवेषणा, पृ० ८२-८४ वर्ष १०, प्रक २० । २१ मरोजिनी शर्मा --हिन्दी और बगला के परसों का व्यतिरेकात्मक अध्ययन, गवेपणा, पृ० ६३-११०, वर्ष १०, अक २० । २२ म० उदयनारायण तिवारी-वीरकाव्य, पृ० १६५ स० २०१२ । २३ स० वासुदेवशरण अग्रवाल कीतिलता २।२२८, २०२१८, ४२४ । २४ स० उदयनारायण तिवारी वीरकाव्य, पृ० २२० । २५ स० वासुदेवशरण अग्रवाल -कीतिलता २।२७, ३१७८ । २६ वही-मश ११५०, १४६, ४१४०। २७ स० हजारीप्रसाद द्विवेदी, नामवरसिंह पक्षिप्त पृथ्वीराज रासो, पृ० २५, ३१, ३२, १०८। २८ स० बालकृष्ण राव हिन्दी काव्यसंग्रह (खुसरो), पृ० २७ । Pe John Bzim, A C)mparative grammar of the Modern Indian Aryan Languages, p 177 ३० दे० डा० कैलाश चन्द्र भाटिया, राउलवेल मे प्रयुक्त क्रियाएं, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, मालवीय शती विशेषाक पृ० ४५७, वर्ष ६६, अ क २-३-४ (सम्वत् २०१८)।
SR No.010482
Book TitleSanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
PublisherKalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
Publication Year1977
Total Pages599
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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