SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६० मस्कृन प्राकृत व्याकरण ओर कोण की परम्परा ६१. आद्यन्तानन्त कार बाह्व वह दिवा विभा निशा प्रभा भा कर्तृ नान्दी लिपि लिचि वलि भक्ति क्षेत्र गवाक्षा क्षणदा रजनी दोषा दिन दिवस धनु रक. सख्यासु ५।२-२८ इन शब्दो से करोति धातु में ट प्रत्यय होता है । आदिकर, वनकर. । पाणिनीय में क्षपा, क्षणदा, रजनी, दीपा, दिन, दिवम ये शब्द नही हैं। उसके अनुसार क्षपाकर क्षणाकर, रजनीकर, दीपाकरः, दिनकर, दिवसकर ये ९५ नहीं बनते । હેારારૂ૨ ૬૨ ને રો મળેવું इस सूत्र मे फलेग्रहिवृक्ष, रजोगहि चुक, मन्नग्रह कम्बल. । पाणिनीय मे रजोग्रहिः और मलग्रहि. ये दो शब्द नहीं बनते । ६३ देववातयोरापे ५२२३३ देवापि वातापि । पाणिनीय में ये दोनो शब्द नहीं है । } ६४ क्षेम प्रिय भद्र भद्रेध्वण् च ५२२१४० क्षेमकार क्षेमकर, प्रियकार: प्रियंकर, भद्रकार, भद्रं कार पाणिनीय मे भद्र शब्द नहीं हैं, उससे भद्रकार भद्र कर नहीं बनते | ६५ बहु विध्वरु स्तिलेषु तुद ५२२५१ तुद । पाणिनीय मे वहुतुद ऐसा स्प नहीं बनता । बहुतुद, ६६ शं स स्वयं विप्रेभ्यो भुवो डु. ५|३|६३ शभुः सभु स्वयभुः विभु, प्रभु । पाणिनीय मे नभु. સૌર સ્વયમ્ ગદ્દ નહીં વનતે 1 ६७ नीपा दाय् शसु यु युजस्तु तुद सि सिचमिह पतन हे स्त्रट् साधने श२६४ नेत्र, पातं, पानी, दात्र, शस्त्रम् । पाणिनीय मे पात्री नही बनता । ६८ अन्तर्घनान्तर्पणी देशे ५।४।७३ अन्तर्धन अन्तर्घुण | पाणिनीय मे अन्तर्धण नही बनता । ૬. સાતિįતિભૂતિભૂતિજ્ઞપ્તિીર્ણય પૂI૦ है । ७० युव साति, ज्ञप्ति आदि शब्द निपात हैं । पाणिनीय मे ज्ञप्ति शब्द नही पौत्रादी कुत्साऽर्चयो ६ २२६ માર્ચસ્વ અપત્યે યુવા છુત્સિત નાર્યે માર્યાચળો વા નાભૅ. । તંત્ર भवान् गाग्र्यो, गाग्र्ग्यायणो वा इति द्वपमपि भवति । पाणिनीये यून कुत्साया गोत्रसज्ञा, वृद्धस्य पूजायां युवसज्ञा । तेन गार्यो जाल्म, तत्रभवान् गार्ग्ययण इत्येव रूप भवति । ७१ एदोद्देश एवेयादो ६२११२
SR No.010482
Book TitleSanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
PublisherKalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
Publication Year1977
Total Pages599
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy