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________________ प्राकपन । [२५ mmommommmmmmaNAKAMANIRANASIAwesome भी उस समय नया जो जैन शासनको फिर जागेगा । दूरी गोर नेतर भाचार्य विद्यारण्य मादि अपनी प्रतिभासे चमक रहे थे। बनताको उन्होंने मुसलमानों के माक्रमणसे सावधान किया । साही सरदारोंने संगठित होकर एक हिन्दू साम्राज्यको स्थापित करनेके किये बनताको उत्साहित किया। इस मनोवृत्ति और राष्ट्रीय भावनाका परिणाम विजयनगर साम्राज्य था। पाठक मागेके पृष्ठोंमें उसकी स्थापना और राज्य शासनके इतिहासके साथ जैनधर्मकी ऐतिहासिक स्थितिका परिचय अवलोकन कीजिये। वस्तुत: जैनधर्म भ० ऋषम द्वारा उद्धत होकर मानकर अपनी महिंसा-संस्कृतिके माध्यामिक बलपर जीवित रहा है। जैन शासन महिंसा धर्म पकाशमें लोकव्यापक और शक्तिशाली सत्ता रह चुका है। जैन शासनने मानवको उसकी महानतामें प्रगट होने दिया। वह महा मानव हुमा। लोककल्याणकका मादर्श उसने उपस्थित किया । विजयनगर साम्राज्य कालमें जैनधर्मके इस विशाल रूपकी नामा सर्वत्र चमकती थी; पाठकगण वस्तुस्थितिको भागे पढ़िये। SAREETHER -- STI
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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