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________________ www इन्डो-पैक्ट्रियन और इन्डो पार्थियन राज्य। [२१ यह शब्द जैनोंमें विशेष रूढ़ है। उसके जमाताका नाम ऋषभदत्त बिल्कुल एक जैन नाम है। इन सब बातोंको देखते हुए इन शकोंको जैन धर्मभुक्त मानना अनुचित नहीं है । नहपान निस्सन्देड जैन शास्त्रोका नरवाहन हैं । आधुनिक विद्वान भी इस व्याख्याको स्वीकार करते है। इस अवस्थामे नहपानको जैन शास्त्रानुसार जैनी मानलेना ठीक है। श्वआंबर जैन शास्त्र - श्री आवश्यक सूत्र भाष्य ' मे प्रगट है कि " भृगुकच्छमे नहवाण (संस्कृतरूप नरनहपान व जनशास्त्र । वाहन) नामक राजा राज्य करता था। उसके पास अखट धन-कोष था । उसके साथ ही प्रतिष्ठानपुर ( वर्तमान पैठन ) मे एक मालिवाहन नामका राजा था. जिसकी सेना अजेय थी। शालिवाहनने नहवाणकी राजधानीको T-Rishabhadatta 1s, purely a Jaana mame given by Rishabha (The Tirthankara) -JBORS XVI250. 2-"I need hardly say that Nahavana stands for Nahapana." -MM. K. P. Jayswal., JABORS XVI. प. नाथरामजी प्रेमी भी 'नहवाण' को 'नहपान' बताते हैं। जहि० भा० १३ पृ० ५३४. ३-'भरुयच्छे णयरे नहवाहणो राया कोससमिद्धो' आवश्यक सूत्रमाण्य | इसका मस्कृत रूप अभिधान राजेन्द्रकोषमें (भा० ५ पृ० ३८३) में यों दिया है. 'भरकच्छपुरेऽत्राऽऽसीद् भूपतिनरवाहनः।। तपागच्छकी एक प्राकृत पट्टावलीमें नाहवाहणका उल्लेख 'नहनाण' रूपमें हुआ है । इसीलिये हमने नहवाण लिखा है। (जैसा सं० मा० १ अंक ४ पृ० २११) जायसवालजीने भी यही शब्द प्रयुक्त किया है। (जविओसो०, १६ पृ० २८३). - .
SR No.010472
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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