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________________ २.] संक्षिप्त जन इतिहास । शक जातिके थे और पहले पहल विवाह सम्बन्ध केवल अपनी जातिमे करते थे। कितु उपगत यह लंग जैन और बौद्ध धर्म में दीक्षित होगये थे। वैदिक धमको भी इन लोगोंने अपनाया था। क्षत्रियोंके साथ इनका वैवाहिक सम्बन्ध मी होने लगा था। छत्रप वंशमे नहपान नामका राजा बहुत प्रसिद्ध था। उसका समय ई० पूर्व प्रथम शतालिम ईस्वी प्रथम छत्रप नहपान । शतानि तक विद्वान् अनुमान करते हैं। उमकी गजा' और 'महाछत्रप' उपाधिया थी जो उसे एक स्वाधीन गजा प्रगट करती है। नहपानका गज्य, गुजगन काठियावाड़ कच्छ. मालवा. नामिक आदि देशापर था। उमका जमाता ऋषभदत्त उमका सेनापति था । नहपान भूमका उतराधिकारी था। इस भृमक सिकामे एक ओर सिह व धर्मचक्र तथा ब्राह्मी अक्षरोंका लेव अङ्कित मिलता है । यह चिद् जैनन्वरे योतक है। भूमकके दरवारकी भाषा भी प्राकृत थी । नहपान नित्स. न्देह जैन धर्मानुयायी था । दिगम्बर और तांबर दोनों ही जैन सम्प्रदायोंक शास्त्रोंमे उसका वर्णन मिलता है । श्री जिनमेनाचार्यने उमका उल्लेख ' नरवाह नामसे किया है और उसका राज्यकाल १२ वर्ष लिखा है, जो ई० पूर्व ५८ ' तक अनुमान किय जाता है । जैन गात्रोंमे नहपानका उल्लेख नरवाहन 'नरसेन' 'नहवाण' आदि रूपमें हुआ मिलता है। नहपानका एक विरुद भट्टारक' था। १-माप्रारा० भा० १पृ० २-३. २-भाप्रारा० मा० १ पृ. .१२-१३. ३-विमओसो० भा० १६ पृ० २८९४-राइ० मा० १ पृ० १०३.
SR No.010472
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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