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________________ १२] मंक्षिप्त जेन इतिहास । उनका यह आग्रह स्वीकार भी किया था। उसके अधिकारमे आप हुए नगर मध्यमिकाके भग्नावशेपामेमे एकमे अधिक जैनधर्म लम्बधी लेख निकले है। इन सब बानोन मेनन्डाका एक समय जैनधर्माबलबी होना प्रगट हे। उसके यनानी साथियोंमे भी जैनधर्मकी मान्यता विशेष थी। इस समय लगभग जैन सम्राट ग्वाग्वेल द्वारा जैनधर्मका वहु प्रचार हुआ था । जैन धर्मका प्रकाग जगतन्यापी रहा था। इससे थोडे समय पश्चात् यूनानियोंको सिथियन-जानिक लागाने जिनका भारतीय गक कहने थे. वैक्टियामे शक व कुशन निकाल दिया। साथ ही गक लोगोंने राष्ट्र आक्रमण। पजाव और अफगानिस्तानपर भी अपना अधिकार जमा लिया । शक गजा माआके राज्यमे पजाब और अफगानिस्तान शामिल थे। वीर धीर शोंकी एक शाखाने, जिसे यूची कहते थे, १५० ई०पू०के करीब बैक्ट्रियाको जीत लिया और वह वहा पाच जनसमूहोंमे वट गई । इनमेसे एक कुशनने मारी जातिका सगठन करके उसे एक बना लिया और पजाव तथा अफगानिस्तानपर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। फिर कालान्तरमे शकोंने सौराष्ट्र मालवा, मथुरा तक्षशिला आदि देशोंमे भी अपना आधिपत्य जमा लिया था। शक राजा मोआका उल्लेख अपर किया जाचुका है। उसका उत्तराधिकारी एजेस (Area }) प्रथम था, किन्तु उसके विषयमे कुछ अधिक वर्णन नहीं मिलता है. यदापि इसमे सशय नहीं कि उसका राज्य दीघ और समृद्धिशाली था। , १-मिलिन्द० १०८.२-राई० पृ० ३५८ ३-हिग्ली० पृ० ७८. ४-भाइ० पृ० ७८.
SR No.010472
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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