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________________ १०] संक्षिप्त जैन इतिहास। अयोग्य होनेके कारण बलख (वैक्ट्रिया) और पार्थियावाले सन् २५० ई० पू० के लगभग उससे स्वाधीन होगये। भारती सीमापर सिकन्दरके पश्चात् इन यूनानियोंके हमले. बरावर होते रहे थे, किन्तु सल्यूकसके बाद पहला यूनानी राजा जिसने पंजावपर हमला किया डिमिटीअस था । डिमिट्रीअसने अपना अधिकार मथुरा तक जमा लिया था और वह मगधको भी सर करना चाहता था. कितु सम्राट खारवेलके भयसे वह मथुरा छोडकर चला गया था ।* फलत यूनानियोंका भारतीय सीमा पंजाव व सिधुपर अधिकार होगया था। इनमे मेनेन्डर नामका राजा बहुत प्रसिद्ध था। सन् १६० ई० पू०से सन् १४० ई० पू० तक वह कावुलका शासक था। उसने सन् १५५ ई० पू० के निकट भारतपर चढ़ाई की थी। मि० स्मिथने इस घटनाका समय ई० पू० १७५ माना है। मेनेण्डर (मनेन्द्र) या मिलिन्डका जन्म सिधुनढ वर्ती प्रदेशमें ____ अर्थात् 'द्वीप अलसन्द' जिसे यूनानी अलेराजा मेनेन्डर व कजिन्ड्रिया कहते थे, वहा हुआ था । उत्तर जैनधर्म पश्चिमी भारतपर विजय प्राप्त करके मेनेन्डरने पंजाबके साकल (स्यालकोट) नगरमे अपनी राजधानी स्थापित की थी । साकल उस समय बडा समृद्धिशाली नगर था। जैनधर्मका प्रचार भी वहा विशेष था। बौद्ध-धर्म वहां उस समयके बारह वर्ष पहलेसे नहीं था। बौद्ध भिक्षु नागसेनने १-माइ० पृ० ७७. * जविमोसो० भा० १६ पृ० २५८. २भाप्रारा० भा०.२ पृ० १८८. ३-पूर्वे० पृ० १८९. ४-मिलिन्द० पृ० १०. -
SR No.010472
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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