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________________ (१८) दोनि०दीघनिकाय' ( P. T, S.)। परि०-परिशिष्ट पर्व-श्री हेमचन्द्राचार्य । प्राजलेम०प्राचीन जैन लेख मग्रह कामताप्रसाट जन (वर्धा)। बविओ जैस्मा०-बंगाल, बिहार, मोड़ीसा जैन स्मारक-श्री ब्रह्म'चारी शीतलप्रमादजी। बजेस्मा०-बम्बई प्रातके प्राचीन जनस्मारक व शीतलप्रसादजी! बुइ०-बुद्धिष्ट इन्डिया-पा० हीस डेविड्स ।। भाषा०-भगवान् प्रार्थनाथ-ले० कामताप्रसाद जैन (सूरत)। मम भगवान महावीर- " " " भमबु० भगवान महावीर औरम वुद्ध कामताप्रसाद्र जैन (सूरत)। भमी०-भट्टारक मीमासा (गुजराती) सूरत । भाई०=भारतवर्षका इतिहास-डॉ० ईश्वरीप्रसाट डी० लिङ् (प्रयाग १९२७)। भामगो० अगोक-डॉ० भण्डारक ( कलकत्ता)। भामारा भारतके प्राचीन राजवश श्री. विश्वेश्वरनाथ रेउ (बंबई)। भाप्रासइ०-भारतकी प्राचीन सम्यताकाइतिहास,सर रमेशचंद्र दत्त। मजैइ-मराठी जैन इतिहास । मनि०% मज्झिमनिकाय . ' •मज्झिम०% ममप्रजैस्मा० मद्रासमैसूरके प्रा० जैन स्मारक ब्रशीतलप्रसादजी। -महा-महावग्ग (S B. E Vol XVII). मिलिन्द्र०मिलिन्द पन्ह (S. B Vol. XXXV.) मुरा-मुद्राराक्षस नाटक-इन दी हिन्दू ड्रामेटिस वर्कस,विलसन। -मूला-मुलाचार वट्टकेर स्वामी (हिन्दी भाषा सहित बम्बई)।
SR No.010472
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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