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________________ मौर्य-साम्राज्य । [२४७ तब ही जम गया था। उत्तर पश्चिमीय सीमा प्रान्तका राज्य 'तक्षशिलाके राज्य के नामसे प्रगट था और उसमें काश्मीर, नेपाल, हिन्दुकुश पर्वत तक सारा अफगानिस्तान, बलोचिस्तान और पंजाब मिले हुये थे। तक्षशिला वहांकी राजधानी थी, जो अपने विश्वविद्यालयके लिये प्रख्यात थी । वड़े २ विद्वान वहां रहा करते थे। और दूर दूरके लोग वहां विद्याध्ययन करने आते थे। तक्षशिलाके अतिरिक्त अशोक पश्चिमी भारतका भी शासक रहा था। उस समय वहांकी राजधानी उज्जैन थी, जो तक्षशिलासे कुछ कम प्रसिद्ध न थी। यह पश्चिमी भारतका द्वार और एक बड़ा नगर था। वहांका विद्यालय गणित और ज्योतिषके लिये विख्यात था। उज्जैन जैनोंका मुख्य केन्द्र था और जैन साधु अपने प्रिय विषय ज्योतिष और गणितके लिये जगप्रसिद्ध थे। उन्होंने उस समय उज्जैनको भारतका ग्रीनिच बना दिया था। अशोकने इन दोनों स्थानोंका शासन सुचारु रीतिसे किया था। जब अशोक रानसिंहासनपर भासीन होगये तो उनको भी ___ अपने पूर्वनोंकी भांति साम्राज्य विस्तार करकलिङ्ग-विजय । नेकी सझी। उस समय बंगालकी खाड़ीके किनारे महानदी और गोदावरी नदियों के बीचमें स्थित देश कलि. ङ्गके नामसे प्रसिद्ध था और यह देश मगध साम्राज्यका शासनमार उतारकर स्वाधीन होगया था। अशोकने उसे पुनः अपने राज्यमें मिला लिया था। इस कलिङ्गविजयमें बड़ी घनघोर लड़ाई हुई . १ लामाइ० पृ. १७०-१७१ व माप्रारा० भा० २ पृ० ९६ । २-लामाइ० पृ० ११ । ३-हिइ. भा० १ पृ० १६७ । - -
SR No.010471
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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