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________________ - tar PTET २१८] संक्षिप्त जैन इतिहास । (१२) माय साम्राज्छ। (ई० पूर्व० ३२६-१८८) सिकन्दर महानके आक्रमणके बाद मगधका राज्य नन्दवंशके. . हाथसे जाता रहा था। ब्राह्मण चाणिक्यके चन्द्रगुप्त माय । सहयोगसे चंद्रगुप्त नामक एक व्यक्ति मगधका राजा हुआ था । जब ई० पूर्व ३२६ अक्टूबरको सिकन्दर महान् पंजाबसे वापिस हुमा, उस समय मगधमें नन्दराजा राज्य कर रहा था । किन्तु इसके एक महीने बाद अर्थात् ई० पूर्व ३२६ के नवम्बर मासमें चन्द्रगुप्तने मगधके राज्यपर अपना अधिकार जमा लिया था । यद्यपि यह निश्चय नहीं है कि चन्द्रगुप्तने पहिले पंजाब विजय किया था या मगधको अपने अधिकारमें कर लिया था, . किन्तु मालूम होता है कि उसने पहिले पंजाबको अपना मित्र बना लिया था और उसकी सहायतासे मगध जीता था। यूनानी लेखकोंके कथनसे सिकन्दरके लौटते समय चन्द्रगुप्तका पंजाबमें होना प्रमाणित है । सिकन्दर कामिनियामें था, तब ही भारतवासियोंने उसके यूनानी सुवेदार फिलिप्सकी जीवनलीला उस समयमें ही. समाप्त करके अपनी स्वाधीनताका बीज वो लिया था। 'मुद्राराक्षस' में जिस राना पवर्तककी हत्या होनेका बखान है वह यही फिलिप्स था । इस घटनामें अवश्य ही चंद्रगुप्तका हाथ था । इसप्रकार पंजाबवासियोंने चन्द्रगुप्तके निमित्तसे अपनेको विदेशी युना. १-जविओसो० भाग १ पृ० ११२...पर्वतककी समानता यु दर्शाई गाई. है-पर्वतक परवओ=पिरवओ-फिलिप्पोस।.. - - -
SR No.010471
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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