SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्र. ५० ५१ xx ५२ ५३ ૩૪ ५५ ५६ ५७ ५८ ५६ ६० X ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६६ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ ७५ ७६ (१४) विषय अन्य आराधक क्यों नहीं ? साधु और जन सेवा अमुक्त को मुक्त मानना को अमुक्त मानना मुक्त अभिग्रहिक मिथ्यात्व अनाभिग्रहिक मिथ्यात्व वेश की प्रधानता नहीं धर्म, मनुष्य की आवश्यकता ? समन्वय वृत्ति सभी समान नहीं आभिनिवेशिक मिथ्यात्व धर्म में सौदा नहीं साशयिक मिथ्यात्व श्रागमिक सत्यता भौतिक विज्ञान की क्षुद्रता arratगिक मिथ्यात्व तटस्थता नहीं लोकिक मिथ्यात्व देव विपयक लोकिक मिथ्यात्व लौकिक कार्य के लिए कितनी बडी भूल गुरु fares लौकिक मिथ्यात्व धर्मगत लौकिक मिथ्यात्व बालक ने हजारों को छला लोकोत्तर मिथ्यात्व लोकोत्तर देवगत मिथ्यात्व लोकोत्तर गुरुगत मिथ्यात्व पृष्ठ संख्या १४८ १५१ १५४ १५८ १६३ १६६ १६८ १६६ १६६ १७० १७३ १७८ १७६ १७६ १८१ १८३ १८५ १८६ ܕ " १८७ १८६ १६० १६३ १६४ १६४ १६७
SR No.010468
Book TitleSamyaktva Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1966
Total Pages329
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy