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________________ पृष्ठ संख्या विषय मिथ्यात्व के मोहक रूप मार्ग एक या अनेक ? सर्वज्ञता पर श्रद्धा देश सम्यक्त्व क्यों नहीं विश्व धर्म आस्था का महत्व क्षायोपशमिक सम्यक्त्व की अस्थिरता खतरे के स्थान दूषण-१ शका २ काक्षा ३ विचिकित्सा ४ परपापडी प्रशंसा ५ परपाषड परिचय दर्शन भ्रष्टों की भयानकता मिथ्यात्व अनादि अपर्यवसित मिथ्यात्व अनादि सपर्यवसित मिथ्यान्व सादि सपर्यवसित मिथ्यात्व अधर्म को धर्म मानना धर्म को अधर्म मानना कुमार्ग को सुमार्ग समझना सुमार्ग को कुमार्ग मानना अजीव को जीव मानना जीव को अजीव मानना असाधु को साधु मानना साधु को असाधु मानना अन्यमत का साधु भी ? वेश की उपयोगिता . . १०२ ३६ ४० १०६ १०८ ११३ ११६ ११६ १२३ १२८ ४६ ७ १४२
SR No.010468
Book TitleSamyaktva Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1966
Total Pages329
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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