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________________ एकसठवां बोल-३.१ बल स्वतः आ जाते हैं और चारित्रबल के अभाव में दूसरे बल निर्बल हो जाते हैं। राम के पास चारित्रबल को छोड़. कर और क्या था ? लेकिन चारित्रबल की बदौलत सभी बल उनके पास आ जुटे। इसके विरुद्ध रावण के पास धनबल, सत्ताबल, सेनाबल आदि अनेक प्रकार के बल मौजूद थे, सिर्फ चारित्रबल उसके पास नहीं था । इसी कारण उसके सब बल निर्बल और निष्फल सिद्ध हुए । इस प्रकार चारित्रबल की मौजूदगी में सभी बल आ जाते हैं और चारित्रबल के अभाव में सभी बल निष्फल हो जाते हैं। अतएव सिद्ध है कि चारित्रबल सभी बलो मे महान है । आज लोग दुखी होकर दर-दर भटकते हैं । इसका प्रधान कारण चारित्रबल का अभाव है। चारित्रबल से ही आत्मा का अक्षय कल्याण होता है।
SR No.010465
Book TitleSamyaktva Parakram 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1973
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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