SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११०-सम्यक्त्वपराक्रम (३) पड़ने पर वह उड जाता है। इसी प्रकार ऐसे अवसर पर आत्मा को ऊर्ध्वगामी बनाने की पहले से ही तैयारी करो। आग लगने पर कूया खोदने से क्या लाभ ? अत. यात्मा को ऊध्वगामी बनाने की तयारी पहले से हो करो । शास्त्रकार हमे मोक्ष का मार्ग इसलिए वतलाते हैं कि हम पहले से ही मोक्ष के मार्ग पर चलने का अभ्यास कर सके । शास्त्र में कही बात हृदय मे उतार कर और उसी के अनुसार आचरण करने से ही आत्मा का कल्याण हो सकता है। आत्मा ही कर्म रहित होकर सिद्ध, वुद्ध, मुक्त होता है और परमात्मा बन जाता है ।। कुछ लोग आत्मा को अलग और परमात्मा को अलग मानते है, परन्तु ज्ञानियों की तात्त्विक दृष्टि से आत्मा और परमात्मा समान ही है। कर्मवन्धन से रहित होकर यह आत्मा ही परमात्मा बन जाता है। शास्त्र मे कहा है-जो आठ कर्मों से 'बद्ध है वह आत्मा है और आठ कर्मों से मुक्त हो गया वह परमात्मा है। शास्त्र के इस कथन के अनुसार हमारा आत्मा भी आठ कर्मों से मुक्त होकर सिद्ध, बुद्ध और मुक्त हो सकता है । अगर हम आत्मा का कल्याण करना चाहते हैं तो हमे कर्मवन्धन से मुक्त होने का प्रयत्न करना चाहिए। कर्मवन्धन मे आत्मा की परतन्त्रता और कर्ममुक्ति मे आत्मा की स्वतन्त्रता रही हुई है । अतः आत्मा को कर्मवन्धन से मुक्त करके स्वतन्त्र बनाने का पुरुषार्थ करना चाहिए । यही सम्यक् पुरुपार्थ है।
SR No.010464
Book TitleSamyaktva Parakram 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy