SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०-सम्यक्त्वपराक्रम (२) जाये या एक मशहूर वकील वैरिस्टर ? ग्रामीण किसान ज्वार को ज्वार ही कहता है, ज्वार को वाजरा नही कहता । मगर वकीलो और वैरिस्टरो का क्या पूछना है ? वह ज्वार को भी बाजरा सिद्ध करने का प्रयत्न करते है। वास्तविकता कुछ और होती है और वकील लोग सिद्ध करते है कुछ और ही। इस प्रकार उलटे को सीधा और सीधे को उलटा क के वह अपनी कमाई करते हैं और मौज उडाते हैं । मगर उन्हे स्मरण रखना चाहिए कि इस प्रकार को माया मोक्षमार्ग मे विघ्नवाधा खडी करती है। पर्दूषणपर्व नजदीक आ रहा है। अन्तत इस पर्व में तो माया का त्याग करना ही चाहिए । इस पर्व मे तुम्हे सादगी धारण करनी चाहिए या आडम्वर बढाना चाहिए? तुम वहुमूल्य वस्त्र धारण करो और तुम्हारे भाइयो को भोजन भी न मिले, यह कितना अनुचित है ? अतएव सादगी धारण करो । रामचन्द्रजी प्रकट मे तो पिता की आज्ञा पालन करने के हेतु वन मे गये थे, पर वास्तव मे रावण द्वारा होने वाले पापो और अन्यायो को नष्ट करने के लिए गये थे । वह पाप का विशाश करने के लिए सादा बन कर गये थे । उन्होंने छाल के वस्त्र धारण किये थे। क्या छाल के वस्त्र, खादी के वस्त्रो की अपेक्षा अच्छे थे? यदि कहो-नही, तो रामचन्द्र ने किस कारण उन्हे धारण किया था? क्या वह मूर्ख थे? रामचन्द्रजी मूर्ख नही थे । उन्हे पापो का नाश करना था और सादगी धारण किये विना पाप नष्ट नही हो सकते थे। इसी कारण उन्होने वल्कलवस्त्र पहने थे । तुम और कुछ नही कर सकते तो इस पवित्र पर्व मे पापो का नाश करने के लिए कम से कम सादगी धारण तो करो ।
SR No.010463
Book TitleSamyaktva Parakram 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages307
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy