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परभव]
[३९५ ते घोररूवे तमिसंधयारे,
तिब्वामितावे नरए पडंति ॥७॥
[सू० अ० १, भ०५, १० १, गा० ३] जो अज्ञानी मनुष्य अपने जीवन-निर्वाह के लिए कर होते हुए पापकर्म करते है, वे तीव दुःख से भरे हुए घोर अन्धकारमय नरक मे गिरते हैं। मा पच्छ असाधुता भवे,
अच्चेही अणुसास अप्पगं । अहियं च असाहु सोयई,
से थणई परिदेवई वहुं ॥८॥
[सू० ध्रु० १, अ० २, उ० ३, गा०७ ] परलोक मे दुर्गति की प्राप्ति न हो, इस विचार से विषय-सग को दूर करो और आत्मा का अनुशासन करो। दुष्ट कर्मों से दुर्गति मे गया हुआ जीव शोक करता है, आक्रद करता है और बहुत विलाप भी करता है।
जहाऽऽएसं समुद्दिस, कोइ पोसेज्ज एलयं । ओयणं जवसं देज्जा, पोसेज्जावि सयंगणे ॥६॥ तओ से पुढे परिवूढे, जायमेए महोदरे। पीणिए विउले देहे, आएसं परिवरूए ॥१०॥