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लेग्या ]
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तेजोलेश्या का वर्ण हिगुल धातु, तरुण सूर्य, तोते की चोच और दीपशिखा के रंग समान रक्त होता है ।
पद्मलेश्या का वर्ण हरिताल, हल्दी के टुकडे तथा सण और असन के पुष्प समान पीला होता है ।
शुक्ललेश्या का वर्ण गख, अकरल, मुचकुन्द पुष्प, दुग्धवारा तथा रजत के हार के समान उज्ज्वल- श्वेत होता है ।
जह कडुयतुं वगरसो, निंबरसो कडुयरोहिणिरसो वा । एत्तो वि अनंतगुणो, रसोय किन्हाए नायची ||८|| जह तिगइयस्स यरमो, तिक्खो जह हत्थिपिप्पलीए वा । एत्तो वि अनंतगुणी, रसोउ नीलाए नायची ॥६॥ जह तरुण अवगरसो, तुवरकविस्य वावि जारिओ । एत्तो वि अनंतगुणी, रसोउ काऊए नाय ॥१०॥ जह परिणयंचगरसो, पक्कवि वावि जानिओ । एता व अनंतगुणो. सोनावनी ||११|| वरवारुणीए चरम, विविताण व आसान जागी। मरनेर व रस. एनी पहा ॥१२॥ प ं सज्जग्मुरियो, सीम एच पि अनगुण सोना
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