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ससारी जीवों का स्वरूप]
[४७ विवेचन-वेयक देव नौ प्रकार के है। विजया वेजयंता य, जयंता अपराजिया। सम्वसिद्धगा चेव, पंचहाणुत्तरा सुरा ॥५॥
[उत्त० अ० ३६, गा० २१५-१६ ] अनुत्तरविमानो के पाँच प्रकार है :-(१) विजय, (२) वैजयन्त, (३) जयन्त, (४) अपराजित और (५) सर्वार्थसिद्ध ।
विवेचन-ससारीजीवो का यह स्वरूप जानने से जीव-सृष्टि कितनी व्यापक है और उसके कितने विभाग है आदि का बोध होता है। ठीक वैसे ही अहिंसा के पालनार्थ भी इसका ज्ञान होना निहायत आवश्यक है।