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________________ तीर्थयात्रामा भ्रमण करवायी जीवो भव भ्रमणने टाळे छे तीर्थक्षेत्रमा पोतानी सपत्तिनो शुभ व्यय करवाथी ते पुण्यवानो स्थिर सपत्तिवाळा बने छे, ने श्री तीर्थकर देवोनी पूजा करनारा भाग्यशाली आत्माओ पूज्यता प्राप्त करे छे आ भावनापूर्वक मत्रीश्वर वस्तुपाले सघवी श्री पुनडना समस्त सघने पोताना घर आगणे भोजन माटे आमंत्रण आपीने, वधाये यात्रिकोना पग दूधथी धोई, तेमने तिलक करी भोजन कराव्यु आम करता तेमने बे प्रहर व्यतीत थाय छे, खूबज परिश्रम थाय छे, सवारनु भोजन करेलु नथी ते वखते सेवको मत्रीश्वरने भोजन करवा, माटे अने परिश्रम न लेवा माटे विनवे छे त्यारे मत्रीश्वर खूबज आनदमा एटलुज जगावे छे के, 'अत्यारनो आ अवसर आत्मा अमूल्य छे सघभक्ति कर्या पछी मत्रीश्वरे अत्यत आमानद अनुभव्यो के, अद्य मे फलवती पितुराशा, मातुराशिषि शिखाड्कुरा घुगादि जिनयात्रिलोक, पूजयाम्यहम शेषमखिन्न । खरेखर मारा पूज्य पिताश्रीनी आशा आजे फली, ने माताजीनी आशिषपर मुकुट चढयो छे 6 श्री सिद्धगिरीजी तीर्थनी यात्रा करी, श्री आदीश्वर भगवतना चरणोनी स्पर्शना करनार यात्रा श्री कुंभोजगिरी शताब्दि महोत्सव ] ओनी आखिन्नपणे, आनदपूर्वक जे रीते आजे मने पूजा भक्ति करवानो सुअवसर मळयो तेथी धन्य बन्यो छु' महापुण्योदयी प्राप्त थयेल मानवैभव अने श्रावककुलनो विचार करी, तीर्थयात्रानो महिमा जाणी लईने लोकोत्तर तीर्थोनी यात्रा, भक्ति आदिमा उद्युक्त बनवु ए विवेकी आत्माओनु कर्तव्य छे कुभोजगिरी तीर्थ जेवु सुदर भक्तिनु आलबन पामी, श्री सधे आ तीर्थनो महिमा जेम विशेष विस्तरे तेमज तेनी भक्ति वधुने वधु व्यापक बने ते माटे जागृतिपूर्वक तत्पर रहेवु जोइए आजे आ तीर्थो शताब्दि महोत्सव उजवाई रह्यो छे, ते अवसरे श्री सघनु - भारतवर्षना चतुर्विध सघन - तेमाये महाराष्ट्रना जैन सघोनु विशेष ते कर्तव्य छे के, महापवित्र ने महा महिमाशाली श्री कुभोजगिरी तीर्थनी भक्तिमा वधु ने धु सविशेषपणे जोडाई, पूर्वना महान पुण्योदये प्राप्त थयेल सुदर सामग्रीनो सदुपयोग करी, आत्मिक उन्नति साधवा तेओ उजमाळ बने, एज एक शुभ कामना ! •|-| नवकारमा सम्यक् ज्ञान, सम्यग् दर्शन अने सम्यक् चारित्र्य ए त्रणे गुणोनी आराधना रहेली होवाथी दुष्कृत गहीत, सुकृतानुमोदना अने प्रभुआज्ञानु पालन प्रतिदिन वधतु जाय अने भुक्ति सुखना अधिकारी थवाय छे [ १०१
SR No.010457
Book TitleKumbhojgiri Jain Shwetambar Tirth Shatabdi Mahotsava Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKubhojgiri Tirth Committee Kolhapur
PublisherKumbhojgiri Tirth Committee Kolhapur
Publication Year1970
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size3 MB
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