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श्री श्री १००८ श्री परमपूज्य श्री श्रीलालजी महाराज की संप्रदाय के गुरु महाराज श्री १००८ श्री रतनचंद्रजी महाराज तस्य शिष्य मुनिश्री
जवाहरलालजी महाराज के आर्य शिष्य. । कविवर श्री हीरालालजी महाराज कृत मी श्री जैन सुबोध रत्नावली. SHREE JAIN SUBODH RATNAVALI
जिसे पन्नालाल जमनालाल रोमलाल किमती हैद्राबाद (दक्षिण) निवासीने
__ छपाके प्रसिद्ध की. प्रथमावृत्ति.
प्रत १०००. मूल्य सदुपयोग.
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श्री वीर संवत् २४३९. विक्रम संवत् १९६९.
इस पुस्तकको उघाडे मुखसे, वाजिंत्रके सहायसे, या दीपक प्रकाशमें इत्यादि अयत्नासे न पढियेगा.