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________________ (१२३ ) जब लिया सीताजी आप । अविग्रह धारी ॥ आवे राम लक्ष्मणकी खबर । मुझे सुख कारी॥ जव करुंगा भोजन । पियूँगा निर्मल वारी ॥ इम निश्चय कीधो मन । द्रढता धारी ॥ करेनवकरमंत्रकाजापापाप हटायाउनको ॥मेली॥१॥ यह खवर शहरमें हुइ। सभीजन जाणी॥ रावण लायो पर नार । कुबुद्ध उठाणी ।। आयो सीताजी पास । बोले यों वाणी ॥ कोन मात तात घरनार । किसे यहां आणी ।। सीताजाणीपुरुष पुण्यवंताबोलेनरइनको ।।मेली॥२॥ जब मांड हकीगत । सभी हाल सुनाया ॥ राजा रावण छलकरके। मुझे यहां लाया ॥ ___ यह लंका नगरीका । ग्रह जो ऐसा आया । या दश मस्तक रावणके । कातर कहवाया ॥ समझाकर राजा रावनको। भेजादो घरे हमनको मे॥
SR No.010456
Book TitleJain Subodh Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad
Publication Year1913
Total Pages221
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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