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________________ यह करी बचन प्रमाण आणजिनवरकी।।महाराज॥ वीर के पासे आवेजी ॥ मुनिधों ध्यान अडोलापलक तो नाहीं मिलावेजी॥ थां तजो सभी संसार भार उठायो ॥ महाराज ॥ गज पर कांई चड बेठाजी॥ गया सेल शिखर उतंग । अबे तो आवो हेटाजी। या आत्म करणी करो पार उतरणी ॥ महाराज ॥ सुख मुक्तिका पावोजी ॥ थां ॥ १ ॥ यह कठिन परिसह सह्या वनके मांही ॥महाराज॥ शीत और तापे सुखानाजी ॥ रही वृक्ष लता लपटाय । अंगपर आबका पानाजी।। यों सर्व दिवस विदित ध्यानके मांही ॥ महाराज। अबे तो आवो ठिकानेजी ॥ जब होवेगा कल्याण । केवल ज्ञान उपजे थानेजी ॥ यों करे विनंती लुल २ चरणे लागे ॥ महाराज ॥
SR No.010456
Book TitleJain Subodh Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad
Publication Year1913
Total Pages221
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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