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________________ न पूजा पाट मन्द निर्वाणकांड [ गाथा | अट्ठावर्याम्म उमही चपा यामपुञ्ज जिणणाहा। उज्जते णमि-जिणो पावाप णिवदा मागवांगे ॥२॥ चीम तु जिण-ग्दिा अमगनुर-पटिदा चट मिलमा । मम्मट गिरि-मिहरं णिवाग गया णमो नमि ॥ वरदत्तो य बरंगो मायग्दनो य नाग्बग्णयरे । आइट्ठयकोटीओ णिव्याण गया मो नेमिं ॥ णेमि-मामी पज्जुण्गो मधुकुमागे तहेव अणिन्दो। वाहत्तरि-कोडीओ उज्जत मत्त-मया बट ॥ गम-सुआ चिणि जणा लाट परिंदाण पत्र साडीगा। पावाए गिरि-मिहरे णिबाण गया णमो तेति ॥ पद-मुयातिणिजणा मिट-णन्टिाण अट्ठ कोटीओ। सत्तु जय-गिरिसिहरे णिच्याण गया णमो नेनिं । सत्तेन य बलभहा जव-णरिंदाण अट्ठ कोडीओ। गजपचे गिरि-सिहरे णिवाण गया णमो तेसिं ॥ गम-हण सुग्गीवो गवय गवक्सो य पील महणीलो। णवणवढी कोडीओ तुंगीगिरि-णिवढे वदे ॥ अंगाणंगकुमारा विक्खा-पचद्ध-कोडि-रिसिसहिया । सुवण्णगिरि-मत्थयत्ये णिव्वाण गया णमो तेसि ॥ दहमुह-रायस्स सुआ कोडी-पंचद्व-मुणिवर महिया। रेवा-उहयम्मि तीरे णिव्वाण गया णमो तेसिं॥ रेवा-णहए नीरे पच्छिम-मायम्मि सिद्धवर-कूडे । दो चको दह कप्पे आहुट्ठय-कोडि-णिन्बुदे वदे ।।
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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