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________________ यदीया वामगङ्गा विविध नय-कल्लोल-विमला हज्ज्ञानाम्भोभिर्जगति जनतां या स्लपयति । दानीमप्येवा बुध-जन-मराले परिचिता महावीर स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ॥ ६ ॥ अनिरोद्रेकत्रिभुवन-जयी काम-सुभटः कुमारावस्थायामपि निज-बलायेन विजितः । स्फुरन्नित्यानन्द-प्रशम-पदशाज्याय स जिनः महावीर स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ॥ ७ ॥ महामोहातक-प्रशमन-पराकस्मिक-भिषक् निरापेक्षो पन्धुर्षिदित-महिमा मङ्गलकरः। शरण्यः साधूनां भव-भयभृतामुचमगुणो महावीर स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ॥ ८॥ महावीराष्टकं स्तोत्रं मक्त्या भागेन्दु'ना कृतम् । यः पठेच्छ्याचापि स याति परमां गतिम् ॥ ६ ॥ वचन बल - जिनमें वचन बल था उन्हीं के द्वारा आज तक मोक्ष-मार्ग की पद्धति का सुप्रकाश हो रहा है और उन्हीं की अकाट्य युक्तियों और तकौ द्वारा बड़े-बड़े वादियों का गर्व दूर हुआ है। . वचन बल की ही ताक्त है कि एक वका व गायक अपने भाषण या गायन से श्रोताओं को मुग्ध कर के अपनी ओर आकर्षित कर लेता है । जिसके वचन बल नहीं, वह मोक्षमार्ग को प्राप्त करने में अक्षम होता है। -'वर्णी वाणी' से
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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