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________________ ऐन पूजा पाठ संप्रद ही गेस्य पापनादिरूप परमाटोर रात लक्षण नगरात व्यसनसमुदाय एक कार मसाप श्री मादि मिनदार मनिपानीति स्वाहा ॥ २३ ॥ मापिप्णु धीय गणपति त्रिभुपादपप सेपिताप विकाय श्री भादि परमेश्वराय नमोतिराहा ॥४॥ ही पुनिराज पथर मध्यादि समस्तानन्तनामसरिताय धी आदि जिनेन्द्राय परम्परा निपामीति पादा ॥५॥ मधोम पो लोस्प्रय मतादौराधिनमस्कार ममस्तातिरोपिनाशक त्रिभुवनम्बर मोदधि तरण तारन ममाय धीमादि परमेश्वराय अपं० ॥ २६॥ जो परमगुजाधित एकादि मरगुपरदिवार श्री आदि परमेश्वराय अपं० ॥२॥ GRोक्ष प्राशिहा महिताय परमेदाराय पर्ष निर्वपानीति स्वाहा ॥२८॥ ही मामिला मदिसाय की प्रथम जिनेन्दार भ निपानीतिः ॥२९॥ ही पधि पामर मालिका सहिताय श्री प्रथम जिनेन्द्राय भ६० ॥३०॥ होम प्रातिका महितार धीमादि परमेश्वराय म नियंपागीति० ॥३१॥ FA मरोटि पादियातिदा सदिताय धी परमादि जिनाय भपं० ॥३२॥ ही ममम्न पुष्प पाति गटप्रानिदा अदिताय धी भादि जिनेन्द्राय अपं० ॥३३॥ ही शोटि माम्बर प्रभा गटित गामाल प्रातिदा सहिताय श्री परमादि बिनाम निपामीशिस्वाहा ॥४॥ ही मनिन बसपर पटनगरितम्यान योजन प्रमाण प्रातिकार्य सरिताय • श्री भादि परमेसराप नियंपामीति म्यादा ॥ ३५॥ ममतोपरि गमन सासिनय सदिताय श्री भादि परमेश्वराय पं० ॥३६॥ भोपग ममये समधारण विभूति मष्तिाय धीधादि परमेश्यराय अपं० ॥३॥ ही मनहनिमरण मुर गजेन्द्र मदासर मय पिनाशकाय श्रीजिनाय परमेश्वराप अपं. मादिष नाम प्रसादान्मदासिंद भय विनाशकाय श्रीयुगादिपरमेश्पराय अ॥३॥ ही मदापति पिषमक्षण समर्प सिननाम जल विनाशफाय धी आदि प्रमणे • परमेश्वराय अनियंपामीति स्वाहा ॥४॥ ही रकनयन सपं बिन नागदमन्यौपधि समस्त भय विनाशकाय धी जिनादि परमेश्पराय नियंपामीतिगादा ॥ महसमाम मय पिनाराकायसपरिक्षणाय धी प्रथम जिनेन्द्राय परमेश्वराय अपं० ॥४२॥१॥
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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