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________________ mmmm m mmmmmmmama - - - मानो का दोहा--नररा-छमत श्रीपाक. सन्दो मनववकाय । पर्ध चना भावसं. कर्म न हो जाय ॥ याड़ाके गदानमान समयमा भर्ष धरती में श्री पर जी, पासन आकार । परम दिगम्बर शान्तिमय, प्रFि H यथार ॥ सौम्पान्त पति जातिमय, दिपिकार साकार । सप्टर का अचले. पन विविध प्रकार ॥ बाड़ाके० श्रीपप्रमनिराजभी, मो रानी ही शरमा टेर ॥ माघ कृपया धद्धि में प्रमो, पाये गर्म मार । मान सीमा का जनम किण सफल कार ॥श्री पद्म० कार्तिक मातरम निधी, प्रमो लियो अवतार । देवों ने पूजा करी, इया मंगलाचार ॥ श्री पदुमा FERTIFITERTatement t२॥ कार्तिक शुद्ध त्रयोदशी, तुगवत बन्धन तोड । तप धारा भगवान ने, मोह कर्म को मोड़ ॥ श्री पदम Arrireka grाय ॥
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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