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________________ १४४ जेन पूजा पाठ म श्री चम्पापुर सिद्धक्षेत्र पूजा दोहा उत्सव किय पनवार जहॅ, सुरगणयुत हरि आय । जजों सुथल वसुपूज्य तसु, चम्पापुर हर्षाय ॥ ॐ ह्रीं श्री नगापुर पेत्र । अत्रावतरायतर सर्वोपट् । ॐ ह्रीं श्री चम्पापुर सिद्धक्षेत्र । भय निष्ठ तिष्ठ ठ ठ स्थापनम् । ॐ ह्रीं श्री चम्पापुर सिद्धपेत्र । भत्र मन समिहतो भव भय यषड् । अष्टक चाल नन्दीश्वर पूजन की सम अमिय विगतत्र वारि, लै हिम कुम्भ भरा । लख सुखद त्रिगदहरतार, दे प्रय धार धरा ॥ श्रीवासुपूज्य जिनराय, निर्वृतिथान प्रिया । चम्पापुर थल सुखदाय, पूजों हर्प हिया ॥ १ ॥ ॐ ह्रीं श्री चम्पापुर सिद्धक्षेत्रेभ्यो अन्मजरामृत्युविनाशनाय जल निर्वपामीति स्वाहा ||१| कश्मीरी केशर सार, अति ही पवित्र खरी । शीतल चन्दन संग सार ले भव तापहरी ॥ श्री० ॥ ॐ ह्रीं श्री चम्पापुर सिद्धक्षेत्रेभ्यो ससारतापविनाशनाय चन्दन निर्वपामीति स्वष्टा ॥ २ ॥ मणिद्युतिसम खण्ड विहीन, तन्दुल लै नीके । सौरभ युत नव वर बीन, शालि महा नीके ॥ श्री० ॥ ॐ ह्रीं श्री चम्पापुर सिद्धतेनेभ्यो भक्षयपदप्राप्तये भक्षत निर्वपामीति स्वाहा ॥ ३ ॥ अलि लुभन सुभग हगघाण, सुमन जु सुरद्रुमके | लै वाहिम अर्जुन वाण, सुमन दमन झुमके ॥ श्री० ॐ श्री चम्पापुर सिद्धक्षेत्रेभ्यो कामवाणविध्वशनाय पुष्प निर्वपामीति स्वाहा ॥ ४ ॥ '
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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