SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SHERE - - सिनपाद नतमी जानो. जय जोग निरोध प्रमाना। गिरिनार शिवर शिर पाई. बन्दों में शीश नवाई। mareekrrishiarx.re.me. पालमप्राचारी प्रभु, नेमीश्वर महाराज । मेरो नेम निमाइयो, यह अरजी सुनि धान ॥ हरि पार पानिले गुन गा गुग्नर जी टेक॥ पार भनुप दासी नरनि गमाहि ॥ ममुरलय गा सारे गा.वि गटाय। भोप लाराम मन्त्रमा नेमीनार निगर। रानी . .mar गुर आई। भाग पा., जाके पर आ निपजी।। मारिन मान पनामा सागर महार। हिननितीन गुन गा मुर नरी माम प्रति , पत नधार। सान, मकर गरम मागे, राग में सिर । पनिरिर भर मना, फर पनि में मार ॥ पनी पानी गुग्गर गीगार पजापी। समानुपाप, पीपार न पाय गानाशाजी। पन र गुना पनि गररिग आंग। पिन परी नगी जी। जिन ।। पाट प्रक्षनाग जगतारामनगगना। दम बादाननिय जनजो दायप। साद मानामा नमिताभ दिगम्परा ॥ निहित में नाजीरकी मोटी राजमती-सी नारी। सगालीनो गरमाग, जिनके हिदमें आई फरणा जीय फी ।।
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy