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________________ भी श्री नेमिनाथ जिन पूजा श्रीहरिवंश उजागर नागर, नेमीश्वर जिनराई । बालनारी जननारी. श्याम शरीर सुहाई ॥ यादववंश महानभ प्राण. चन्द्रा सुम्बदाइ । अत्र विराजन शिरख वो जिनराई ॥ Sente yeng कुछ न हुई विद sahyang सेफ है की र मनोल कथन कारी माहि परो । जनमजय दुकानको, श्रीजिन सन्मुख धार करो ॥ चारी वर्गवारी, नेमीश्वर जिनराज महान । में नित प्यान प्रभु मेरा मोकूं दीजो अविचल धान ॥ (221 हुए जोकि उन्ह मलयागिरि कपूर मिलाया. वंशर रंग अनोपम जान । भर आनापरहित जिन चरणकमलको पूज आन ॥वा १७१ sary चन्द्रकिरण मउल लीजे, अक्षत स्वरलगुणसान । अक्षय नायक प्रभुको पूजें हर्षसहित हितमान ॥ घाल 141 भांति-भांति कृप मंगाये. कृसुमायुध अरिजीतन कान । कुलमा विजयी जिनके चरण कमलको पूजें आज ॥ घा मनमोहन पचान बनाना एमहित प्रभुकं गुण गाय । अधारोग नाश करन को श्रीजिन चरणन देत चढ़ाय | घाल समितिया
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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