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________________ महाचंद जैन भजनावली । [ ११ मेरो यूं करिमान्यु इनमें नहीं कोई तेरो न मेरो भूल्योरे ● ॥ २ ॥ तीन खंडको नाथ कहावत Fiदोदरी भरतेरो । कामकलाकी फोज फिरी तब, राज खोय कियो नर्क बसेरो ॥ भूल्योरे० ॥ ३ ॥ भूलि भूलिकर समझ जीव तू अबहू औसर हेरो | बुधमहाचन्द्र जाणि हित अपण पीवो जिनबानी जलकेरो ॥ भूल्योरे० ॥ ४ ॥ ( १६ ) कुमतिको छाडो भाई हो ॥ कुमति || टैर ॥ कुमति रची इक चारुदत्तने, बेश्या संग रमाई | सब धन खोय होय अति फीके गुंथ ग्रह लटकाई ॥ कुमति ॥ १॥ कुमति रची इक रावण नृपर्ने सीताको हर ल्याई । तीन खंडको राज खोयके दुरगति बास कराई ॥२॥ कुमति रची कीचकने ऐसी द्रोपदि रूप रिझाई | भीम हस्ततैं थंभ तले गड़ि दुक्ख सहे अधिकाई ॥ कुम० ॥ ३ ॥ कुमति रची इक धवल सेठने मदन मजूसा ताई । श्रीपालकी महिमा देखिर डील फाटि मरजाई ॥
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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