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________________ नई चीज ! न देखी होगी !! और न सुनी होगी श्रीहरिवंशपुराण चित्रावली । श्री हरिवंशपुराणके चित्रोंका काम अब दो वर्षा पूरा हुवा है हजारों रुपया व्यय करके २५ रंग विरंगे चिकने आर्ट पेपर पर छपे हुए भाव पूर्ण चित्रोंका दर्शन - जिस समय आप करेंगे उस समय घंटो तक आप प्रत्येक चित्रको एक टक नजरसे अवलोकन करते हुए सनमें चतुर्थकाल के दृश्यका अनुभव करने लगेंगे । चित्रके बनानेमें ५०) से १५०) रु० तक खर्च हुवा है १५ चित्र तो तीन तीन रंगके छपे हुए इतने सुन्दर हैं कि हम लेखनी द्वारा कुछ भी नहीं बता सकते | चित्रोंकी सूची एक पत्र लिख कर मंगाइये । न्योछावर ३) रुपया मात्र रेशमी सुनहरी जिल्द बंधे चित्रोंका ४) । एक एक जिनवाणी प्रचारक कार्यालय, पोष्टवक्स ६७४८, कलकत्ता
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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