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________________ ४ ज्ञानार्णव भा. टी इसमें श्रीशुभचन्द्र खामीन ध्यानका वर्णन बहुत ही उत्तमतासे किया है। इसका प्रत्येक लोक हितोपदेशी है । निछरावल रु० ४) ५ बृहद्रव्यसंग्रह भा. टी श्रीनेमिचन्द्रस्वामीकृत मूल और श्रीब्रह्मदेवजी कृत संस्कृतटीका पर अच्छी बनाई हुई वचनिका सहित है। इसकी वचनिका अब तक नही वनीं थी अत अपूर्व है । निछरावल रु०२) ६ स्याद्वादमंजरी भा. टी. इसमें छहो मतोका खंडन करके टीकाकर्ता विद्वद्वर्य श्रीमहिषेणसूरीजीने स्याद्वादको पूर्ण रूपसे सिद्ध किया गया है । अच्छी बनाई हुई भाषाटीका सहित है । ५०० ग्राहक पहिले ही हो चुके हैं। ग्राहकोंमे पत्रद्वारा शीघ्रही नाम लिखा लीजिये । निछरावल रु०४) ७ द्रव्यानुयोगतर्कणा-यह ग्रंथ मे शास्त्रकार श्रीमद् भोजसागरजीने सुगमतासे मन्दबुद्धि जीवोका द्रव्यज्ञान होनेके “अथ गुणपर्ययवद्द्रव्यम् " इस महाशास्त्र तत्त्वार्थसूत्र के अनुकुल द्रव्य, गुण और पदार्थोंका ही विशेष वर्णन किया है और प्रसंगवश 'स्यादस्ति, ' स्यान्नास्ति आदि सप्तभंगीका और दिगंबराचार्यवर्य श्रीदेवसेनखामी विरचित नयचक्रके आधारसे नय, उपनय, तथा मूलनयांका भी विस्तारसे वर्णन किया है निछरावल रु० २ ) ८ सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् - जिसका अपर नाम तत्त्वार्थाधिगम मोक्षशास्त्र भी है जैनयोका यह परम मान्य और मुख्य ग्रन्थ है इसमे जैनधर्मके सम्पूर्ण सिद्धान्त आचार्यवर्य श्रीउमाखातिजीने वडे लाघवसे सग्रह किया है। ऐसा कोई भी जैनसिद्धान्त नहीं है जो इसके सूत्रोंमें संगठित न हो । सिद्धान्तसागरको एक अत्यन्त छोटेसे तत्त्वार्थरूपी घटमें भर देना यह कार्य इसके क्षमताशाली रचयिताका ही था । तत्त्वार्थके छोटे २ सूत्रोके | अर्थ गाभीर्य को देखकर विद्वानोको विस्मित होना पडता है, और उसके रचयिताकी सहस्रमुखसे प्रशंसा करनी पडती है । निछरावल रु० २ ९ छूट अंकों श्रीज्ञानार्णव ओर श्रीद्रव्यानुयोगतर्कणाका छूटक अकोभी रक्खें हैं जिस महाशयकी पाम अपूर्ण ग्रंथ होवे वे मंगालेबे दरेक छूटक अकका निछरावल २०१३) श्रीमदूराजचंद्रजी के लिखे हुये ( गुजराती भाषा हिन्दीटाइप ) ग्रन्थ और वे महोदयका विचारोंका संग्रह इत्यादि श्रीमद् राजचंद्र (खलास है ) मोक्षमाला भावनाबोध ... काव्यमाला ( खलास है ) प्रत्येक ग्रन्थ व्ही. पी. पारसलसे भेजा जाता है कृपाकरके अपना पत्ता, गाव, जीला ठीक २ लीखनाजी. ... 61015 ... ०-१२-० .... 01810 ०-३-० रायचन्द्रजैनशास्त्रमालासम्बंधी सर्वप्रकारके पत्रव्यवहार करनेका पत्ता - शा. रेवाशंकर जगजीवन जोहरी. आनरेरी व्यवस्थापक- श्रीपरमश्रुतप्रभावकमंडल. जोहरी बाजार - बम्बई नं० २.
SR No.010452
Book TitleRaichandra Jain Shastra Mala Syadwad Manjiri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParamshrut Prabhavak Mandal
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1910
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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