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________________ dr वं वीवाह ज्वाहिय वीसकदी पुन्धरा वीरहं विज्झादं वीसत्थदाए पुरिसो वीस दस चेव लक्खा वीस दिवक्खाराणं वीस दिवच्छरसमधियवीसदु चउवीसचऊ वीस पल तिरिग मोदय वीसविहंत सिं वीससहस्स-जुदाई वीससहस्स- तिलक्खा वीससहसम्भहिया वीससहस्सं तिसदा चीससहस्सा वस्सा वीसस्स दंडसहि वीसहदवासलक्खच्भवीस हियस या वीसं इगिच उati ari asaari वीसं तु जिवरिंदा वीसं बुरासिव मा वीसं लक्खं पु वीस वीसं पाहुडवीस वीसं पाहुड वीसादिसु बधसा वसादी भगा वीसा सत्तसदारिणय वीसाहियको ससयं साहियसको सा वीसुत्तरछच्चसया वीसुत्तरवा ससदे वीसुत्तरसत्या वीसुतराणि होति हु वीदये बंधो हि सूण साि वीही दोपासेसुं बुढो तरुण सीलो ases सुत्तसोहा' प्राकृतपद्यानुक्रमणी श्राय० ति० २-१२ | वेउव्वजुयलहीणा तिलो० प० ४-११५४ वेउव्वरणमाहारयगो० क० ४२३ | वेउव्वरणाए रामो भ० श्रारा० १०८७ | वे उमिस्क तिलो० प० ४ - १४४५ वेउव्वमिस्सजोयं तिलो० सा० ६७१ | वेउव्वाहार दुगे तिलो० प० ४ - ६४५ | वेडव्विदुगूरालियगो० क० ५६७ | वेउव्वियकाय दुगे भ० प्रा० ८०६ | वेडव्वियदुगहारयवेवे मरणपन्जव - वेवे सुरभंगो वेण वताए वेश्रो फिल सिद्धंतो अंगप० २-६७ तिलो० प० ४ - १०६ १ तिलो० प०८-१६४ तिलो० ५० ४-५७३ तिलो० प० ४-१४६१ वेगपद छग्गुणं इगितिलो० प० ४–१४०२ | वेगपदं चयगुणिदं तिलो० प० २ - २४५ | वेगाद्विगुणं तेतिलो० प० ४ - ५६७ | वेगुव्वअट्ठरहिदे जबू० प० ३ - १३१ | वेगुव्व-छ परण- सहदिगो० क० ५६२ | वेगुव्त्रतेजथिरसुहगो० क० ७५६ वेगुव्वं पज्जत्ते णिव्वा० भ० २ वेगुव्वं वा मिस्से तिलो० प०८-५०४ वेगुव्वं वा मिस्से सुदखं० ५ | वेगुव्वाहारदुगं अंगप० १-६ वेगुव्त्रिछस्सहस्सा गो० जी० ३४२ | वेगुव्वियआहारय गो० क० ७४६ वेगुव्त्रिय उत्तत्थं गो० क० ६०३ |वेगुव्वियदुगरहिया वेगुव्वियवरसंच वेगुव्त्रियं सरीरं वेगुव्विसगसहस्सा वेगुव्वे गो सति हु वेगुव्वे तम्मिस्से वेगेण वहइ सरिया वेगेणं पुणु गच्छइ गो० क० ७४७ वेज्जादुरभेसज्जातिलो० प० ७-११८ | वेज्जावश्चकरो पुण मूला० ४३७ | वेज्जावश्चणिमित्तं तिलो० प० ४ -७२६ |वेनावच्च विहीणं भ० रा० १०७७ वेनावच्चस्स गुणा जबू० प० २-४ | वेढेइ विसयहेदुं # जबू० प० २ - ३५ तिलो० प० ४-८५२ | तिलो० प० ४-८८० गो० क० ६०४ तिलो० प० ४ - १४६८ तिलो० प०४ - १८२ तिलो० प०८-१८२ | २६७ पंचस० ४-८२ भ० श्रारा० २०५८ जंबू० ११-२६५ पचसं० ५-३३३ पंचस० ४- १३८ पचसं० ४-१२ सिद्धत० ५६ पंचस० ५-१६६ सिद्धत० २८ पंचसं० ४-२७ पचसं० ४-३६० धम्मर० ४० भावस० ५०६ तिलो० सा० ४२८ तिलो० सा० १६३ तिलो० सा० ४२० गो० क० ३६६ गो० क० ३३१ गो० क० २६१ गो० जी० ६८१ भावति० ८४ गो० क० ३१५ श्रस० ति० २६ तिलो० प० ४- ११४० गो० जी० २४१ गो० जी० २३३ सिद्धत० २२ गो० जी० २५६ मूला० १०५४ तिलो० प० ४-११३८ • भावति० ८३ गो० क० ७२० जंबू० प० ७-१२८ जबृ० प० ७-१२४ मूला० ६४१ भ० श्रारा० ३२१ पवयणसा० ३-१३ मूला० ६५६ भ० श्ररा० १४६६ भ० श्रारा० ६ 98
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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