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________________ झ जो वट्टमा लच्छिं जो वढाइ लच्छिं जोवणमए मत्तो जो वयभार सो जितपु जो वह सिरे गंगा जो वावर सवे जो वावरे सद जोवारि-वी हि कोदवजो विय विणिपडत जो वि विराधिय दुसराजो चि सहदि दुव्यरण जो वेद वेदज्जदि जो सग्गसुहरिणमित्तं जो सघरं पि पलित्तं जो सम-भाव-परिट्टिय जो सम-भावहॅ वाहिरउ जो समयपाहुडमिंणं जो सम-सुक्ख - गिली बुहु जो सम- सुक्ख-लिगो जो मोसव्वभू जो समोसव्वभूदेसु जो सम्मत्त-पहारण बुहु जो सम्मत्तं खवया जो सव्वसंगमुक्को जो सव्त्रसगमुक्को जो सव्वसंगमुक्को* जो सव्वसंग्रमुक्को जो (ज्ञा ) संकप वियप्पो जो संग गहि गहि जो संग जो संगदि सव्वं जो संगं तु मुइत्ता जो संचित्रण लच्छिं जो जमेसु सहि जो संवरेण जुत्तो जो संवरे जुत्तो जो सामाइ छेदो जो सावय-वय-सुद्धो प्राकृतपद्यानुक्रमणी जो साहदि साम जो साहेद श्रीद वसु० सा० १४३ | जो सादि विसेसे कत्ति० श्र० १६ कत्ति ० ० श्रणु० १७ सावय० दो० ११६ धम्मर० १०० कत्ति० अ० ४५८ कत्ति० जणु० ३३१ श्राय० ति० १०-७ भ० श्रारा० १४० | जो सिद्धभत्तिजुत्तो जो सियभेदुवया रं जो सुप्त वारे जो मूला० १२६ जोगसा० ६० भ० श्रारा० १६३३ समय० १८८ hree तिप्पयारं पचस्थि० १५८ | झारणग्ि तिलो० प० ६-२४ | झापट्टि हु जोई तिलो० प० ६-४६ | झारणरिणलीणो साहू तिलो० प० ६ - ६३ कारणस्स फलं तिविहं कत्ति श्र० २७३ भास्स भावणा विय दव्वस० णय० २०६ कारणस्स य सत्ती कत्ति० श्रणु० २७२ | भाणं करेइ खवयस्सो - समय० १२५क्षे०८(ज०) झारण कसायडा कत्ति० अ० १४ भाणं कसायपरचक्क * पृ० ११७ पर मुद्रित समय० का 'जा' ( = यावत् ) शब्दसे प्रारम्भ होनेवाला वाक्य और यह समान हैं। । सव्वं समय ० १० सुरणा जो संवाद प्रभ छेदपिं० ५२ समय० २४० भ० श्रारा० १६८७ समय० २४५ जो सो पेहभावो दु जो सो दुइभावो जो हाइ एयगावी जो हव रुद्वगहि कत्ति ० ० १०६ भावस० २४४ समय ० २१६ श्राय० ति० २-१५ कत्ति० अणु ० ४१५ | जो हवाइ सव्वसरिओ श्राय० ति० २-२० भ० श्रारा० २८४ जो सम्मूढो जो हि सुए हिगच्छइ + समय ० २३२ समय ० ६ परम० प० १-३५ परम० प० २-१०६ समय ० ४१५ जोगसा० ६३ तो भि ढव्वस० णय० १२० जो हि सुदे विजादि + पवयणसा० १ - ३३ जो हु जो ज्वाय क्खम्मि जो होट जधाछंदो जो होदि सिपा सम्मइ० ३-४५ भ० श्रारा० १३११ कत्ति० श्रणु ११४ यिमसा० १२६ मूला० ६८७ सुत्तपा० ११ भाणं कसायरागे पचत्थि० १४५ | झारणं कसायवादे पचत्थि० १५३ | झाणं किलेस सावदपंचसं० १-१६५ भाणं चप्पयारं कत्ति० श्रृणु० ३६१ झारणं भाऊण पुणो भ भाणं भागच्भासं भाणं तह भायारो १२६ कत्ति० अ० २६६ कत्ति० अ० २७१ कत्ति० श्र० २७० समय० २३३ दव्वस० णय० २६३ मोक्खपा० ३१ G यासा० १८ तच्चसा० १ तच्चसा० ४६ शियमसा० ६३ भावस० ६३३ दव्वस० य० १७८ भावसं० ६३४ भ० श्रारा० १८६४ भ० श्रारा० १८६६ भ० श्रारा० १६०० भ० श्रारा० १६०१ भ० श्रारा० १८६८ भ० श्रारा० १८६७ खाणसा० १० भावस० ४८१ दव्वस० ण्य० १७७ भावसं० ६८३
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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