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________________ १२८ पुरातन-जैनवाक्य-सूची जोयणदलवासजुदो तिलो० ५०४-२७५२ | जोयणसयमुव्बिद्धो तिलो० १०४-२७० जोयणदलविक्खभो तिलो. प०४-१६२८ जोयणसविक्खभा तिलो० ५० ४-२४६१ जायण माणसठिद- तिलो. प०१-६० जोयणमयं समर्माहयं जंबू० ५० ११-२३३ जोयण-पचसयाई तिलो०प०४-२७२१ जोयणसयाणि दोरिणं तिलो० ५० ४-२८३६ जोयण-पंचसयाणि तिलो०प०४-२७१६ जोयणमहस्स एदे जवू०प०३-२०६ जोयण-पंचसहस्सा तिलो. प० ७-१८ जोयणसहस्सगाढा तिलो० प०५-६१ जोयण-पंचसहस्सा तिलो० प० ७-१६८ जोयणसहस्सगाढो तिलो. प. ४-१७७६ जोयण-पंचूपझ्या जंबू० प० २-१६ जोयणमहस्सगाढो तिलो० प०४-२५७५ जोयणमधियं उदयं तिलो०५०४-७७६ जोयणसहस्सगाढो तिलो. प० ५-५८ जोयण-मुहुवित्थारा जंबू०प० ४-२७८ जोयणसहस्सतुगा तिलो०प०५-१३७ जोयणमेक्कट्ठिकए तिलो. सा० ३३७ जोयणसहस्मतुंगा जंबू०प०१०-२८ जोयणमेत्तपमाणो जंबू० ५० १३-१०६ जोयणसहस्सतुगो ___ जंबू०प० ४-६८ जोयण य छस्सयाणि तिलो. प० ४-२७२० जोयणसहस्समधियं तिलो. प०५-३१६ जोयणया छण्णवदी तिलो० ५०८-५३ जोयणसहस्ममेक्र्क तिलो. प०५-१६३ जोयण-लक्खं तिदियं तिलो० ५०४-२७६८ जोयणसहस्समेक्क तिलो० प०४-१८०८ जोयण-लक्खं तेरस तिलो. प० ४-२४२५ जोयणसहस्समेक्कं तिलो. प०४-२०७३ जायण-लक्खं वासो तिलो. सा० १५ जोयणसहस्समेक्कं तिलो. प० ४-२५३३ जोयण-लक्खायामा तिलो. प०५-६४ जोयणसहस्समेक्कं तिलो० प०४-२५७७ जोयण-लकरवायामा तिलो० ५०६-६५ जोयणसहस्समेक्कं तिलो० ५०४-२६०६ जोयण-वीससहस्सं तिलो सा० १२४ जोयणसहस्समेक्कं तिलो० प०४-२७४७ जोयण-वीससहस्सा तिलो०प०१-२७० जोयणसहस्समेक्कं तिलो. प०५-२३६ जोयण-वीससहस्सा तिलो. प०४-१७५३ जोयणसहस्सवासा तिलो०प०५-६८ जोयण-सगदु दु चक्किगि तिलो० सा० ३१२ जोयणसंखाखा तिलो० सा० २२० जोयण-सट्टिसहस्सं तिलो० ५०४-२०२१ जो रत्तीए चरियं छेदर्पि० ७२ जोयण-सट्टी रुंदं तिलो० प०४-२१८ जो रयणत्तयजुत्तो दव्वसं०५३ जोयण-सत्तसहस्सं तिलो० सा० १७६ जो रयणत्तयजुत्तो कत्ति० अणु० ३६२ जोयण-सत्तसहस्सं तिलो०प०४-२०६४ जो रयणत्तयजुत्तो मोक्खपा० ४३ जोयण-सदं तियकदी तिलो० प० ६-१०२ जो रयणत्तयणासो पवयणसा०३-२४२०१६(ज) जोयण-सद-मज्जादं तिलो०५०४-८९७ जो रयणत्तयमइओ श्रारा० सा०२० जोयणसदेक्क बे चउ जबू०प०३-१६८ जो रसेंदिय फासे य मूला० ५२८ जोयण-सयायाम तिलो. सा. १८१ | जो रायदोसहेदू कत्ति० अण० ४४१ जोयण-सयायामा जंबू०प०४-४६ | जो रित्तो पावजुत्रो आय. ति०८-१२ जोयण-सयायामा जंबृ० प०५-६ | जो रुक्खमूलजोगी छेदपिं० १३३ जोयण-सयायामा जबू०प०५-३६ जोऽरूविरूविजीवा अंगप०२-१२ जोयणसयउधिद्धा 'जबू० प० २-१०४ | जो लेइ अणसणं चिय रिट्ठस० २५२ जोयणसयदीहत्ता निलो० ५०८-४३६ जो लोहं णिहणित्ता कत्ति० अणु० ३३६ जोयणसयतुंगं जबू० प० ५-६३ | जो वज्जेदि सचित्तं कत्ति० अणु० ३८. जोयणसयप्पमाणा जंबू०प०११-१५७ | जो वट्टणं च मण्णइ * गयच.५० जोयणसयमुत्तुंगा तिलो०प०४-२१०२ / जो वट्टणं ण(च) मरणइ * दव्वस०णय० २१२ जोयणसयमुव्विद्धा जबू० प०६-४५ / जो वट्टमारणकाले कत्ति० अणु० २७४
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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