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________________ उ उदधिस्स दुदिधरणं उदीरणभरिदो उदधी होति तेत्तिय उद्यगद्सगंहस्स य उदयगढ़ा कम्मंसा • प्राकृतपद्यानुक्रमणी ' जंबू० प० १२- ४६ | उद्यादिश्रवट्टिदगा सीलपा० २८ | उदयादिगलिद सेसा जबू० प० ११-१८४ उदयादिया ठिदीओ उदयद्वाणकसाए द्विसा० ५२४ | उदद्यादिसुट्ठिदीसु य पवयणसा॰ १–४३, उदयादिसु पंचरह पसं० २- १६८ | उदयादो सत्तरसं गो० क० ४८२ | उदयाभाश्रो (वो) जत्थ य उदया मदि व खइये उदयद्वाणं दो रह उदहारणं पयडिं उदयट्ठाणे सखा उदयत्थकँपसंकंतिउदयत्थमणे काले उदयदलं श्रयामं मूला० ३५ तिलो० सा० ११३ उदयपयडिसं खेज्जा गो० क० ४६० पचसं० ५-३१३ | उदयावरणसरीरोश्रा० ति० १७-२१ उदयावलिस्स दव्वं | उदयावलिम्स बाहि उदया हुोकसाया पंचसं० २-३२० उदयिल्लागंतरजं द्धिसा० १४६ उदये चउदस घादी तिलो० सा० १३० उदयेण उवसमेण य भ० रा० ११०८ | उदयेणक्खे चडिदे तिलो० सा० ७८४ | उदये दु अपुरणस्स य समय ० १६८ उदये दु वरण फेदिकम्मतिलो० प० ८-४५६ उदये संकममुदये पंचसं० ३–४६ | उदये संकममुदये पंसं० ५-४६६ उदर क्किमिणिग्गमणं गो० क० २७८ | उदरग्गिसमरणमक्खमउदय आणिवि कम्मु मइँ परम० प० २ - १८३ | उदरिय तदो बिदीया उदयबह उक्कट्टिय उदयभूमिवेहो उदयम्मि जायवड्ढिय उदयवी पुरिद Saritaart उदयरस पंचसा उदयस्सुदीरणस्स य उदयसुदीरणस्य य उदयरसुंदीरंगांस्स य पचथ० ८५ तिलो० प०८-२४८ जंबू० प० ४- १८२ जह मच्छा उदयंत- दुमणि-मंडलउदयंत भारण-संरिभउदयं पडि सत्तरहं उदयं भूमुहवासं उदयं भूमुहवासं उदयं भूमुहवासं उदयं भूमुह वेहो उदयं सट्टणाणि य उदया 'इगिपरवी उदया इगिपरणसगाडउदया इगिरवीसा उदीरेई सामगोदे उस मसंयमक्खियउद्दिट्ठपिंडविरो गो० क० १५६ उद्दिट्ठ जदि विचरदि तिलो० प० ४ - १६३१ उद्दिद्वं पंचूां तिलो० प० ४ - १६६४ उद्दिसइ जो य रोयं तिलो० सा० ६३७ | उद्दे समेत्तमेयं तिलो० सा० १३४ | उद्देस -संमुद्दे से गो० क० ७४१ ० १ | उद्देसिय कीदयडं गो० क० ७३३ | उद्देसे खिसे गो० क० ७१३ | उद्वारेयं रोम पंचसं० ५-४५७ | उद्धारेयं रोमं उदया इगिवीसचऊ उदया उगती सर्तिय उदया चवीसूरणा उदयामावलिम्हि य उदया उदयादो ४५ कसायपा० १७६ (१२६) कसायपा० १८० (१२७) दव्वस० य० ३६१ पंचसं० ५-३१६ भावस० २६८ गो० क० ७३४ गो० जी० ६६३ लद्धिसा० ७१ लद्धिसा० २२२ गो० के० ७३५ | उद्धुदमणस्स गरदी गो० क० ७२४ उद्धयमरणस्स सुह गो० क० ६६६ । उपलाहिं जोइय करहुलउ लद्धिसा० ६८ | उप्पज्जइ जेण विबोहु लद्धिसा० ३०६ | उपज्जदि जदि गाणं लद्धिसा० ३०२ लद्धिसा० १४३ पचसं० १-१०३ लद्धिसा • २४४ लद्विसा० २८ पंचरथ० १६ गो० क० ८३४ गो० जी० १२१ गो० जी० १८४ गो० क० ४४० गो० क० ४५० मूला० ४६६ रयणसा० ११६ लद्धिसा० ६७ पंचसं० ४-२२१ पचरिथ० ११६ वसु० सा० ३१३ मूला० ४१५ तिलो० प० २-६० आय० ति० ८-१८ वसुं० सा० ३१३ मूला० २८० मूलां० ८१२ मूला० ६६१ तिलो० सा० १०१ जंबू ० प० १३ - ४० भ० धारा० १६५६ भ० श्र० १२६७ पाहु० दो० ४२ पाहु० दो० ८२ पवयणसा० १-५०
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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