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________________ ५८] मुंबईप्रान्त के प्राचीन जैन स्मारक । यहां अब एक पुजारी दिगम्बर जैनोंकी तरफसे रहता है जो पूजा करता है । अंजनेरीके नीचे कुछ बढ़िया मंदिरोंके अवशेष हैं। जो सैकड़ों वर्षोंके प्राचीन हैं। ऐसा कहाजाता है कि ये मंदिर ग्वालियरके राजा अर्थात् देवगिरी यादवोंके समयके हैं (सन् ११५० से १३०८ ) इनमें बहुत जानने योग्य जैनियोंके मंदिर हैं। इनमेंसे एक मंदिरमें जिसमें जैन मूर्ति भी है एक संस्कृतका लेख शाका १०६३ व सन् ११४० ई०का है जिसमें यह कथन है कि सेणचंद्र तीसरे यादवराजाके मंत्री बानीने इस चंद्रप्रमजीके मंदिरके लिये तीन दूकानें भेट की तथा एक धनी सेठ वत्सराज, वलाहड और दशरथने उसीके लिये एक घर और एक दूकान दी। शायद यह पहाड़ी इसीलिये अंजनेरी कहलाती हो कि श्री हनूमानकी माता अंजनाने यहां ही श्री हनूमानको जन्म दिया था। (२) अकई (तंकई )-तालुका येवला यहां दो पहाड़िया साथ २ हैं । यह मनमाड़ प्टेशनसे दक्षिण ६ मील है । ३१८२ फुट उंचाई है यहां ७ कोट किलेके हैं इस जिलेमें सबसे मजबूत किला है। तंकईकी दक्षिण तरफ सात जैन गुफाए हैं जिनमें बढ़िया नक्कासी है । इन गुफाओंका वर्णन इस प्रकार है (१) गुफा २ खनकी स्वंभोंके नीचे द्वारपाल बने हैं। (२) गुफा २ खनकी-नीचेके खनमें बरामदा २६ से १२ फुट है दोनों ओर बड़े आकार एक तरफ इन्द्रहाथी पर है दूसरी ओर इन्द्राणी है इसके पीछे कमरा २५ फुट वर्ग है उसमें वेदीका कमरा है उसके द्वारपर हर तरफ १ छोटी जैन तीर्थकरकी मर्ति है। वेदीका कमरा १३ फुट वर्ग है वहां एक मूर्तिका आसन
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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