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________________ मासिक जिला । I ५७ (१७) नासिक जिला । इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-- उत्तर और उत्तर पूर्व - खानदेश, दक्षिण - पूर्व- निजाम राज्य, दक्षिण-- अहमदनगर, पश्चिम थाना, धरमपुर, सरगाना–इसमें ५८५० वर्ग मील स्थान है । इसका इतिहास यह है कि सन ई० के पहले दूसरी शताब्दीसे दूसरी शताब्दी तक यह अभ्रोंका राज्य था जो बौद्ध थे । उनकी राज्यधानी नासिकसे दक्षिण पूर्व ११० मीलपर पैथन थी । फिर चालुक्य, राठौर, चांदोर और देवगिरि यादवोंने सन् १२९५ तक राज्य किया -- पश्चात् मुसलमानोंने कबजा किया । इस जिलेमें प्रसिद्ध गुफाओंके मंदिर बौद्ध पांडलेना नामसे हैं तथा जैनियोंके गुफाओंके मंदिर चम्भार और अंकईकी गुफाओं में तथा इगतपुरीके पास त्रिंगलवाड़ी में हैं । सन् ८०८ में मार्कंडेय किला राष्ट्रकूट राजाओं का बास स्थान था । इस जिलेके जैन स्मारक | ነ (१) अजनेरी (अंजिनी ) नासिक नगरसे १४ मील और त्रिम्बकसे भी १४ मील है- यह एक पहाडी ४२९५ फुट ऊंची इसमें ३ वर्ग मील स्थान है । ऊपर की चट्टानमें तालाब और बंगले के ऊपर एक छोटी जैनगुफा है जिसमें एक पद्मासन जैन मूर्ति है- १ छोटा द्वार है दोनों तरफ मूर्तियें हैं - भीतर १ लम्बा बरामदा मंदिररूपमें है । नीचेकी चट्टानमें दूसरी छोटी जैन गुफा है जिसके द्वार पर ही श्री पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति है । (नोट - भीतर और भी दि ० जैन मूर्तियां हैं )
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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