SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ M २२] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक। (२) शुकलतीर्थ-नरबदा नदीके उत्तर तटपर एक ग्राम है जो भरुच नगरसे १० मील है । यहीं मौर्यचन्द्रगुप्त और उसके मंत्री चाणक्य आकर वास किया करते थे। ग्यारहवीं शताब्दीमें अनहिलवाड़ाका राजा चामुंड जो अपने पुत्रके वियोगसे उदास होगया था यहीं आकर वास करता था। (३) अंकलेश्वर यहां पहले कागज बननेका शिल्प होता था जो अब बंद होगया है। (old piuper manufacturing industry ). नोट-यहां दि० जैनियोंके ४ मंदिर है जिनमें बहुत प्राचीन व मनोज्ञ मूर्तियां हैं । संवत रहित एक मूर्ति श्री पार्श्वनाथ भगवानकी पुरुषाकार भौरेमें विराजित है । यह भूमिसे मिली थीं। अंकलेश्वर बहुत प्राचीन नगर है । मुड़बिद्री (दक्षिण कनडा) में जो श्रीजय धवल, धवल, व महाधवल ग्रन्थ श्री पार्श्वनाथ मंदिरमें बिरानमान हैं उनके मूल ग्रन्थ इसी नगरमें श्री पुष्पदंत भूतबलि आचार्योने रचे थे जिनको अनुमान २००० वर्षका समय हुआ । इसका प्रमाण पंडित श्रीधरकृत श्रुतावतार कथामें है। जैसे " तन्मुनिद्वयं अंकलेसुरपुरे गत्वा मत्वा षडंग रचनां । कृत्वा शास्त्रेषु लिखाप्य लेखकान् सन्तोष्य प्रचुर दानेन । ज्येष्ठस्य शुक्ल पञ्चम्यां तानि शास्त्राणि संघसहितानि नरबाहनः पूनयिष्यति...."
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy