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________________ भरच जिला [२१ इटावा (युक्तप्रांत) के पंसारी टोलाके मंदिरमें लाला विलासरायके संस्कृत ग्रन्थ भण्डारमें है जो संवत् १५६९की लिखित है उसकी प्रशस्तिमें ये वाक्य है " इदं श्री शैलराजस्य चरितं दुरितापहं रचित भृगुकच्छे च श्री नेमिजिन मंदिरे । गोलश्रृंगारवंशेनभस्य दिनमणि वीर सिंहो विपश्चित् । भावी पृथ्वी प्रतीता तनुरुह विदितो ब्रह्म दीक्षा सुतोऽभूत् । तेनोचैरेष ग्रन्थः कृति इति सुतरां शैलराजस्य सूरेः । श्रीविद्यानंदि देशात सुकृत विधिवशात् सर्वसिद्धि प्रसिद्धै।भाव यह है कि वीरसिंह गोलश्रृंगारेके पुत्र अजित ब्रह्मचारीने श्री विद्यानंदिनीके उपदेशसे भरोचके नेमिनाथ जिन चैत्यालयमें रचा । ___ इस भृगुकच्छ नगरमें श्री महावीरस्वामीके समयके अनुमान राजा वसुपाल राज्य करते थे तब वहां एक जैनी सेठ जिनदत्त रहते थे उनकी स्त्री जिनदत्ता थी। उसकी कन्या नीली सती शीलव्रतमें प्रसिद्ध हुई है। ( देखो कथा २८वीं आराधना कथाकोश बनेमिदत्त कृत) प्रमाण। क्षेत्रेऽस्मिन् भारते पूते लाटदेशे मनोहरे । श्रीमत्सर्वज्ञ नाथोक्त धर्म कार्यैरनुत्तरे ॥ २ ॥ पत्तने भृगुकच्छाख्ये सर्ववस्तु शतैर्मृते । रानाऽभूद्वसुत्पालाख्यो सावधानः प्रजाहिते ॥ ३ ॥ श्रेष्टी श्रीजिनदत्तो भूद्वणिक सन्दोहसुन्दरः । श्रीमजिनेन्द्र चंद्राणां चरणार्चन तत्परः ॥ ४ ॥ तत्प्रिया जिनदत्ताख्या साध्वी सद्दानमंडिता । नीली नाम्नी तयोः पुत्री मुनीनामिव शीलता ॥५॥
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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