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________________ १६४ ] मंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । ५६ फुट लम्बा दक्षिणसे उत्तर है व ४८ फुट पूर्व पश्चिम है । इसमें दाहनी तरफ एक हाथी आसनको छोड़कर १५ फुट ऊंचा है । जो गिर गया है । एक सुन्दर स्तम्भ २७ फुट ४ इंच ऊंचा है इसके ऊपर चतुरमुख प्रतिमा है और एक छोटा मंडप सामने शिवमंडपके समान है । यह आठ फुट ४ इंच चौकोर है । सभासे ८ सीढ़ियां हैं, हर तरफ द्वार है । चढ़ाई उत्तर व दक्षिण दोनों तरफ से है हरएक द्वार में दो स्तम्भ हैं । इस कमरे के भीतर एक चौकोर पाषाणकी वेदी है जिसके हर तरफ सिंहासन पर श्री महावीरस्वामीकी मूर्ति कोरी हुई है । बरामदे को छोडकर नीचे का कमरा ७२ फुट ४८ फुट है। जिसके आगे दो स्तंभ हैं और दो स्तंभ उस मंदिरके कमरे के सामने हैं जो ४० फुट १५ फुट है । यह मंदिरका कमरा १७ || फुटसे १३ फुट है । इसमें श्री महावीरस्वामी सिंहासनपर बिराजमान हैं। सामने धर्मचक्र है । इन चिन्होंसे यह प्रगट होता है कि ये गुफाओंके मंदिर दिगम्बर जैनोंके हैं । बरामदेको सीढ़ी गई है जो ऊपर बडे कमरेकी पूर्व तरफ है । यह ऊपरका कमरा बरामदेको छोडकर जिसके मध्यमें एक नीचीमी भीत है ५५ फुट ७८ फुट है । वरमदा १४ फुटसे १० फुट है । इसके हर तरह इन्द्र और इन्द्राणी विराजमान हैं- पूर्व ओर इन्द्र हाथीपर और पश्चिम और इन्द्राणी सिंहासनपर है (नोट-ये बड़े ही सुन्दर सुसज्जित हैं) । कमरे की बगलसे जाकर इन मूर्तियों के पीले एक छोटा कमरा ९ से ११ फुट है । इसमें होकर उन मंदि - रोंमें जाना होता है जो सामनेके मंदिरके हरतरफ बगलमें हैं ।
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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