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________________ घाइवाड़ जिला। [११७ ११२६) और उसके पुत्र सोमेश्वर चतुर्थ (११२६-११३८) के राज्यमें हुए थे। यहां ही वंकापुरमें श्री गुणभद्राचार्यने अपना उत्तरपुराण शाका ८२० व सन् ८९ (में पूर्ण किया जब यह वनबासी राज्यकी राज्यधानी थी व यहां राजा अकाल वर्षका सामन्त लोकादित्य राज्य करता था । यह जैन धर्मका भक्त था । श्री गुणभद्रकी गुरुवंशावली इस प्रकार है एलाचार्य वीरसेन विनयसेन जिनसेन दशरथगुरु अमोघवर्षराजा गुणभद्र लोकसेन मंडल पुरुष। श्री जिनसेन बडे भारी आचार्य व कवि व विद्वान थे-जिनसेनने श्री जयधवल टीका शाका ७५९में पूर्ण की तथा पार्धाभ्युदय काव्यको मान्यखडमें राजा अमोघवर्षके राज्यमें पूर्ण किया। इस काव्यको इंग्रेज विद्वानोंने मेघदूत (कालिदासकृत)से बढ़िया लिखा है। Jinasen however claims to be cousidered a higher genius than the author of cloud mense
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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