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________________ १०८ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । २ प्रतिमा प० २ || फुट ऊंची १ शांतिनाथकी ३ मूर्तियें १ फुट ऊंची १ स्फटिक पाषाणकी एक प्रतिमामें सं० १००१ विजयमूरि प्रतिष्ठाचार्य सब प्रतिमाएं ९ हैं (दि० जैन डाइरेक्टरी) | हम जब २४ मार्च १९२५को किला देखने गए तो वहां हमें ६ मूर्तियें अखंडित दि० जैनकी नीचे प्रमाण मिलीं । (१) कायोत्सर्ग २ हाथ ऊंची नं ० (२) २ नं० "" 99 "" " मूलसंघ आदि लिखा है । (३) (8) (9) 99 (६) पल्यंकासन २ अंतिम दो प्रतिमाओंपर सं० १२३२ शाका पौष सुदी ३ "" " "" पार्श्वनाथ 12 सी ६ सी ५ कृष्णवर्ण पार्श्वनाथ सी ३ सी २ सी ४ ९ सी १ (१२) धनूर - कृष्णा नदीपर । हुनगुंडसे उत्तर १० मील, ग्रामके बाहर एक छोटा मंदिर जैनके ढंगका है - इसमें लिंग है । धनेश्वरका कहलाता है | (१३) हल्लूर - बागलकोटसे पूर्व ९ मील - ग्रामके उत्तरमें पहाडीपर मेलगुडी अर्थात् पहाडी मंदिर है (मेल = पहाडी, गुडी = मंदिर) जो ७६ फुट लम्बा ४३ फुट चौडा और २१ फुट ऊंचा है । यह दक्षिण मुख है, बहुतही बढिया प्राचीन जैन मंदिर है । अब इसमें लिंग रख दिया गया है । भीतोंके सहारे व सामने
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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