SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीजापुर जिला। [ १०७ (4) अलमेली ग्राम ता० सिंदगी-यहांसे उत्तर १२ मील । यह कहा जाता है कि यहां ग्रामके पश्चिम सरोवरपर एक बड़ा जैन मंदिर था । आसपास बहुतमी नग्न मूर्तियां पाई जाती हैं। (९) बागेवाडी-बीजापुरसे दक्षिण पूर्व २५ मील । यहां लिंगायत मटके स्थापक वाभवका जन्म स्थान है । वासवेश्वरका मंदिर दक्षिण मुख है जिसमें आलोंपर जैन मूर्तियां हैं और बड़ी कारीगरीके द्वारपाल हैं । रामेश्वर मंदिर भी पुराना और जैन पद्धतिका है। (१०) वासुकोड-मुद्देविहालसे ६ मील उत्तर पश्चिम । यहां १ जैन मंदिर है जिसको जाखना चार्यने बनवाया था । (११) बीजापुर-फ्रांसीम यात्री मन्देलो-जिसने सन् १६३८ और ३९ में भारत यात्रा की थी-लिखता है कि सर्व एसिया भरमें नितने बडे २ नगर हैं उनमें एक यह भी है, इसका ऊंचा पाषाणकोट १५ मीलसे ऊपर है । चौडी खाई है । बहुत दृढ़ किला है,जहां १००० पीतल और लोहेके तोपखाने हैं। बादशाही मकानको अर्ककिला कहते हैं । मलिक करीमकी मसजिद को स्थानीय लोग कहते हैं कि यह एक जैन मंदिर था। (सं० नोट) अब भी यहां कई पुराने जैन मंदिर हैं व किलेमें प्राचीन दिनैन मूर्तियां अखंडित बिराजमान हैं। यहांसे २ मील एक प्राचीन जैन मंदिर श्री पार्श्वनाथनीका है, प्रतिमा १ हाथ ऊंची है। किलेकी मूर्तिये चंदावावडीसे लाई गई हैं। उनका वर्णन एक श्री पार्श्वनाथ ३ हाथ पद्मासन संवंत १२३२
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy