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________________ १५६ ] प्राचीन जैन स्मारक | पश्चिम ८५ मील | सातलमेर ग्राम के बाहर दो मील तक वंश स्थान है। यहां एक बड़ा जैन मंदिर है और ठाकुरके बंशके मृत प्राप्तोंके स्मारक हैं । (७) रानापुर - (रेंनपुर ) जि० देसूरी - फालना प्टेशनसे पूर्व १४ नील व जोधपुरने दक्षिण पूर्व ८८ मील । यहां प्रसिद्ध जैन मंदिर है । जो मेवाडके राणा कुम्भके समय १९ शताब्दी बना था । यह बहुत पूर्ण है । मंदिरका चबूतरा २००४२२९ फुट है । मध्यमें बड़ा मंदिर है जिसमें 2 वेदी हैं । प्रत्येक्रम श्री आदिनाथ विराजमान हैं । दूसरे खनपर चार बेदी हैं। आंगनके चार कोनेपर १ छोटे मंदिर हैं। सब तरफ २० शिपर हैं जिसको ४२० स्तम्भ आश्रय दिये हुए हैं । संगमर्मर का खुदा हुआ मानस्तंभ द्वारपर है, उसमें लेख हैं जिनमें मेवाड़ के राजाओंके नाम बापा रावलसे राणा कुंभा तक हैं । ( See J. Fergusson history of India 1338 P. 240-2). इस मंदिर के हरएक शिपरके समुदायनें जो मव्य शिपर है वह तीन खनका ऊँचा है। जो खास द्वारके सामने है वह ३६ फुट व्यासका है उसे १६ खम्भे यांभे हुए हैं । १९०८ की पश्चिम भारतकी रिपोर्टमं है कि इस बड़े मंदिरको - जो चौमुखा मंदिर श्री आदिनाथजीका है - पोड़वाड़ महाजन धरणकने सन् १४४० में वनवाया था । दो और जैन मंदिर हैं उनमें एक श्री पार्श्वनाथजीका १४वीं शताब्दीका है । (८) सादरी नगर - जि. देसूरी | प्राचीन नगर जोधपुरसे दक्षिण पूर्व ८० नील | यहां बहुतसे जैन मंदिर हैं ।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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