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________________ मील । यहांसे १० मील दक्षिण वीजापुर ग्रामके बाहर हथुन्डी या हस्तिकुंडी नामके एक प्राचीन नगरके अवशेष हैं, यह राठौर राजपूतोंकी सबसे पुरानी. जगह थी । एक शिलालेख सन् ९९७का है जिसमें १० वीं शताब्दीके ५ राजाओंके शासनका वर्णन है। वे राजा हैंहरिवर्मन, विदग्ध (९१६), मन्मथ (९३९) धवल और बालप्रसाद । दांतीवाड़ा, दयालना और खिनवालपर जैन मंदिर हैं। (२) भिनमाल-जि. जसवन्तपुरा, इसको श्रीमाल या भिल्लमाल भी कहते हैं। यह आबूरोड स्टेशनसे उत्तर पश्चिम ५० मील व जोधपुरसे दक्षिण पश्चिम १०५ मील है, यह छठीसे ९ मी शताब्दीके मध्य में गूजरोंको प्राचीन राज्यधानी थी। यहां एक सिंहासनपर एक राजाकी पाषाणकी मूर्ति है। पुराने मंदिर हैं। एक संस्कृत लेख है जिसमें परमार और चौहान राजाओंके नाम हैं। यहांसे दक्षिण पूर्व १४ मील सुन्दर पहाड़ी है इस पर चामुन्डदेवीका पुराना मंदिर है । यहां पुराना लेख है जिसमें सोनिगरा (चौहान) राज्यके १९ राजाओंका व घटनाओंका वर्णन है। A. S. R. W. I. of 1908 से विदित हुआ कि यह श्रीमाल जैनियोंका प्राचीन स्थान है। ऐसा श्रीमाल महात्म्यमें है। यहां जाकब तालावके तटपर उत्तरमें गननीखांकी कब है। इसकी पुरानी इमारतके ध्वंशोंमें एक पड़े हुए स्तम्भपर एक लेख अंकित है जिसमें लेख है वि० सं० १३३३ राज्य चाचिगदेव पारापद गच्छके पूर्ण चन्द्रसूरिके समय श्री महावीरजीकी पूजाको आश्विन वदी १४ को १३ दुम्भा व ८ विसोपाक दिये। एक पुरानी मिहरावमें एक जैन मूर्ति कित है। जाकब तलावकी
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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